"वृक्ष का वचन"

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रणजीत टाइम्स स्पेशल कहानी:


एक बार की बात है, एक छोटा बच्चा अर्जुन अपने दादाजी के साथ गाँव के बाहर लगे एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे बैठा था। दादाजी ने कहा,
"बेटा, ये पेड़ सिर्फ छाया नहीं देता, ये हमें साँस लेने के लिए ऑक्सीजन देता है, पक्षियों का घर बनता है, और बारिश लाता है।"
अर्जुन ने मासूमियत से पूछा,
"तो लोग पेड़ क्यों काटते हैं दादाजी?"
दादाजी ने उदासी से कहा,
"क्योंकि वे अपने आज के लालच में कल को भूल जाते हैं।"
उसी रात अर्जुन ने सपना देखा – वह पेड़ एक इंसान में बदल गया और बोला:
"अर्जुन, एक वचन दो – जब बड़े हो जाओ, तो मुझे और मेरे जैसे पेड़ों को बचाओ। मुझमें जीवन है, मुझे काटना मतलब अपने ही भविष्य को काटना है।"
सुबह उठते ही अर्जुन ने ठान लिया –
"मैं हर साल पेड़ लगाऊंगा और सबको जागरूक करूंगा!"
वर्षों बाद, अर्जुन एक पत्रकार बना – और उसने अपनी कलम से हर पन्ने पर हरियाली की बात लिखी। "रणजीत टाइम्स" में उसने एक कॉलम शुरू किया –
"प्रकृति की पुकार" – जहाँ वह हर हफ्ते एक नई पर्यावरण की कहानी लिखता।

नैतिक सीख (Moral):
"कलम से जागरूकता फैलाओ, पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ।"
"पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं, वो जीवन की डोर हैं – उन्हें मत तोड़ो!"

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