रंगपंचमी की गेर का लाइव प्रसारण होगा, अन्य शहरों से आने वाले मेहमानों के लिए छतों पर व्यवस्था, रथ में घूमेंगे NRI

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इंदौर। इंदौर की रंगपंचमी की गेर को अब यूनेस्को की विरासतों में शामिल करने की कोशिश तेज हो गई है। इस बार की गेर का प्रशासन लाइव प्रसारण करवाएगा और विदेश में रहने वाले इस लिंक को वहां के हर स्थानीय ग्रुप में शेयर करेंगे। इसके साथ ही विदेशियों के लिए इस बार गेर में अलग गाड़ी रहेगी। शनिवार 30 मार्च को निकलने वाली गेर में एक लाख से अधिक लोग शामिल होने की उम्मीद है। 60 एनआरआई ने अभी तक इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। सभी को विशेष रथ में सवार करके गेर में घुमाया जाएगा। इस साल इंदौर की गेर को 75 साल हो चुके हैं। 
विदेशी मेहमानों के साथ इस बार अन्य शहरों से भी मेहमान आएंगे। इनके लिए घरों की छतों पर खास व्यवस्थाएं की गई हैं। गेर में रथों का काफिला लेकर चलता है। इस बार भी चार रथ निगम की ओर से इसमें शामिल होंगे। इस बार इसे यूनेस्को विश्व धरोहर बनाने के लिए जतन किए जा रहे हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया हमने एनआरआई के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है। अभी तक 60 विदेशी मेहमानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। रजिस्ट्रेशन जारी है। पहली बार ऐसा होगा जब गेर में शामिल एनआरआई रंगों के इस उत्सव का सीधे रूप से हिस्सा होंगे। उनके लिए हमने अलग रथ की व्यवस्था की है। गौरतलब है कि ये विदेशी मेहमान वही हैं, जिन्होंने प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था। इसके अलावा शहर के कई आयोजनों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इंदौर में जिस तरह से गेर निकाली जाती है, उस तरह किसी अन्य शहर में यह त्योहार नहीं मनाया जाता है।
गेर में शामिल होने के लिए अफ्रीकी देशों से भी प्रतिनिधिमंडल आ रहा है। कुछ ऐसे हैं जो परिवार सहित गैर के रंगों का आनंद लेने आएंगे। घाना से सलिल मेहरा व परिवार के लोग इंदौर आ रहे हैं। उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है। यूएई से हेमंत चौहान, रेणु चौहान, कनाडा से मोहित चौहान, यूके से मनमीतसिंह, दुबई से विशाल अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में एनआरआई आ रहे हैं।
शहर में 75 साल पहले गेर की शुरुआत हुई थी। कुछ लोगों ने मल्हारगंज से राजबाड़ा तक इसकी शुरुआत की थी। हाथ में रंगों से भरे लोटे लेकर समूह में चलते थे। रास्तेभर रंग उड़ाते हुए काफिला निकलता था। 20- 25 लोगों से शुरू हुआ यह सफर अब तीन से चार लाख लोगों तक पहुंच गया है। अब ऐसी मिसाइलों का उपयोग होने लगा है, जिससे 300 फीट तक रंग छोड़ते हैं। इतना ही नहीं निगम का अमला दो से ढाई घंटे में पूरे गेर मार्ग को चकाचक कर देता है। यूनेस्को में इस विरासत को शामिल करने की कोशिश की जा रही है।
साभार अमर उजाला

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