ट्रेडमार्क ब्लैंडर्स प्राइड V/s. लंदन प्राइड सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रीमियम व्हिस्की खरीदने वाले साधारणतः शिक्षित होते है, इसलिए कन्फ्यूजन की संभावना कम

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नई दिल्ली। 'ब्लेंडर्स प्राइड' इंपीरियल ब्लू व्हिस्की और सीग्राम के ब्रांड वाली कंपनी पेर्नोड रिकार्ड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इंदौर के करणवीर सिंह छाबड़ा के स्वामित्व वाली 'जेके एंटरप्राइजेज' के व्हिस्की ब्रांड 'लंदन प्राइड' के खिलाफ दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग ऑफ (Passing-off) मामले में पेर्नोड रिकार्ड कंपनी को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 3 नवंबर, 2023 के आदेश को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जब पेर्नोड रिकार्ड का पंजीकरण केवल 'ब्लेंडर्स प्राइड नामक समग्र ट्रेडमार्क के लिए है, तो वह 'प्राइड' शब्द पर कोई विशेष अधिकार का दावा नहीं कर सकती।

मामले में "लंदन प्राइड की तरफ से सीनियर एड. श्याम दीवान और अभिमन्यु भंडारी के साथ वैभव मिश्रा, एकांश मिश्रा, आयुष जैन, रोंगन चौधरी और शुभम तिवारी ने की। जबकि ब्लेंडर्स प्राइड की ओर से देश के नामचीन सीनियर एडव्होकेट मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल के साथ डेढ दर्जन वकीलों की टीम ने पैरवी की थी।

क्या था मामला?

पेर्नोड रिकार्ड ने आरोप लगाया था कि 'लंदन प्राइड' ब्रांड उसके पंजीकृत ट्रेडमार्क और 'ट्रेड ड्रेस (पैकेजिंग और डिजाइन) से काफी मिलता-जुलता है। कंपनी ने दावा किया कि 'लंदन प्राइड' की पैकेजिंग, कलर स्कीम, लेबल और 'प्राइड' शब्द का प्रमुख इस्तेमाल उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा कर सकता है। कंपनी ने अदालत से 'लंदन प्राइड' के इस्तेमाल पर स्थायी रोक लगाने, उल्लंघनकारी सामग्री को नष्ट करने और मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के विश्लेषण से सहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि ट्रेडमार्क संरक्षण पूरे पंजीकृत मार्क पर लागू होता है, न कि उसके भीतर किसी गैर-पंजीकृत शब्द पर। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि 'प्राइड' शब्द शराब के व्यापार में एक 'पब्लिकी जूरिस' (Publici Juris) शब्द है, यानी यह सार्वजनिक उपयोग के लिए है और बिना अलग पंजीकरण के इसका एकाधिकार नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने यह भी पाया कि, दोनों उत्पादों की बोतल के आकार, लेबल, कलर स्कीम और लोगो में स्पष्ट अंतर है। चूंकि प्रीमियम व्हिस्की खरीदने वाले ग्राहक आमतौर पर शिक्षित और समझदार होते हैं, इसलिए उनके भ्रमित होने की संभावना कम है। मामले में किसी भी वास्तविक भ्रम का कोई सबूत पेश नहीं किया गया था। यह पहली बार नहीं है जब पेर्नोड रिकार्ड को इस तरह के मामले में झटका लगा है। सितंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल चौलेंजर्स अमेरिकन प्राइड व्हिस्की बनाने वाली यूनाइटेड स्पिरिट्स के खिलाफ कंपनी की ट्रेडमार्क उल्लंघन की याचिका में अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था।

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