दो किसान और दो मानसिकताएँ
लेखक: गोपाल गावंडे
गाँव में दो किसान रहते थे। दोनों के पास समान जमीन, समान संसाधन और खेती का समान ज्ञान था। लेकिन उनकी सोच में एक बड़ा अंतर था।
पहला किसान सकारात्मक सोच रखता था। उसके लिए हर परिस्थिति एक अवसर थी। वहीं, दूसरा किसान नकारात्मक सोच का शिकार था। वह हर समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर देखता था और कभी समाधान पर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन बारिश हुई।
सकारात्मक किसान ने कहा,
"यह बारिश मेरी फसल के लिए वरदान है। इससे मेरी फसल और बेहतर होगी।"
दूसरी तरफ, नकारात्मक किसान ने शिकायत की,
"अरे, इतनी बारिश में मेरी फसल गल जाएगी। भगवान क्यों मेरे साथ ऐसा करते हैं!"
कुछ दिन बाद धूप निकली।
सकारात्मक किसान ने फिर खुशी जाहिर की,
"यह धूप मेरी फसल को पकाने में मदद करेगी।"
लेकिन नकारात्मक किसान फिर असंतोष व्यक्त करता रहा,
"इतनी तेज धूप में मेरी फसल जल जाएगी। मेरी तो किस्मत ही खराब है।"
सकारात्मक किसान ने हर परिस्थिति में मेहनत जारी रखी। उसने बारिश से नमी का लाभ उठाया और धूप से फसल को सुरक्षित रखने के उपाय किए। दूसरी ओर, नकारात्मक किसान बस शिकायतें करता रहा और किसी भी परिस्थिति का हल नहीं खोजा।
जब फसल कटाई का समय आया, तो सकारात्मक किसान की फसल बहुत अच्छी हुई। उसकी मेहनत और सकारात्मक सोच ने उसे सफलता दिलाई। लेकिन नकारात्मक किसान की फसल खराब हो गई क्योंकि उसने कभी समाधान खोजने की कोशिश ही नहीं की।
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शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सफलता और असफलता हमारी सोच पर निर्भर करती है।
सकारात्मक सोच और मेहनत हर समस्या को अवसर में बदल सकती है।
लेकिन नकारात्मक सोच हर अवसर को समस्या बना देती है।
हर परिस्थिति में समाधान खोजें, निराशा नहीं। याद रखें, आपकी सोच ही आपकी तकदीर बदल सकती है।
आपका गोपाल गावंडे
लेखक व प्रेरक वक्ता