गुजरात में जाति आधारित राजनीति के खिलाफ कांग्रेस में उठी आवाज

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गुजरात में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी पार्टी में नई जान फूंक देना चाहते हैं। वह बीजेपी को 2017 की तरह गुजरात में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। हालांकि उनके प्लान को लेकर गुजरात कांग्रेस में सभी खुश नहीं हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान कई नेता हॉल छोड़कर बाहर निकल गए। उनका कहना था कि इसे अब और बर्दाश्त करना मुश्किल है क्योंकि यह प्लान बहुत ही निराशाजनक है।
गुजरात में कांग्रेस के नए प्रस्ताव को लेकर नेताओं में असंतोष देखा गया। इंडिया कन्वेंशन सेंटर में गुजरात को लेकर नया प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में राज्य में जातिगत जनगणना, अनुसूचित जाति और जनजातियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही गई है। कांग्रेस गुजरात में सामाजिक न्याय को आगे करके चलना चाहती है। वहीं गुजरात कांग्रेस के कई नेता उसे गलती मान रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी ने भी यही गलती थी।
रिपोर्ट के मुताबिक एक नेता ने कहा, माधव सिंह सोलंकी ने KHAM यानी क्षत्रिय हरिजन आदिवासी मुस्लिम का फार्मुला अपनाने की वजह से पार्टी को 1985 में 149 सीटें मिली थीं। हालांकि इससे पाटीदार और सवर्ण अलग हो गए। 1990 में इसका परिणाम देखने को मिला और पार्टी को सिर्फ 32 सीटें मिलीं। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, इस तरह का इतिहास सामने है। मेरा मानना है कि राहुल गांधी को गुजरात को जाति आधारित राजनीति से अलग ही रखना चाहिए।
सौराष्ट्र के पाटीदार चेहरे परेश धनानी ने इस प्रस्ताव को पेश किया था। राहुल गांधी का माना है कि इस फार्मुले से गुजरात में रिकवर करने में उन्हें काफी मदद मिलेगी। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में अबतक की सबसे कम सीटें केवल 11 सीटें मिली थीं। कई कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस तरह के वादों से भला नहीं होने वाला है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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