मध्यप्रदेश में पहले चरण में छह सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान,  सीधी और मंडला में भाजपा को चुनौती,  छिंदवाड़ा में कांटे की टक्कर

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भोपाल। मध्य प्रदेश में पहले चरण में छह सीटों पर 19 अप्रैल शुक्रवार को मतदान होगा। इसमें छिंदवाड़ा के साथ ही बालाघाट, जबलपुर, सीधी, मंडला और शहडोल सीट शामिल हैं। इन सीटों पर बुधवार शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा। इससे पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने मतदाताओं को साधने पूरा जोर लगा दिया। भाजपा मोदी के चेहरे के साथ ही राममंदिर, हिंदुत्व और केंद्र की तमाम हितग्राही योजनाओं को लेकर मैदान में है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी अपनी छवि के साथ ही आदिवासी वोटरों के भरोसे है। इसमें सबसे रोचक मुकाबला छिंदवाड़ा सीट पर है।
छिंदवाड़ा : आदिवासियों के हाथ चाबी
छिंदवाड़ा में मुकाबला बराबर का है। यहां पर आदिवासी वोटर हार जीत तय करेंगे। संसदीय सीट पर 37 प्रतिशत आबादी आदिवासी वर्ग की है। यही वजह है कि भाजपा ने अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह को भाजपा में शामिल कराया। वहीं, सबसे बड़ा मुद्दा क्षेत्र की जनता का नकुलनाथ को पसंद नहीं करना है। हालांकि, लोग कमलनाथ को अभी भी मानते हैं कि उन्होंने जिले में विकास कार्य कराए हैं। यही वजह है कि अब कमलनाथ ने चुनाव में मोर्चा संभाल लिया है। वहीं, भाजपा मोदी को आगे रख कर चुनाव लड़ रही है। 
बालाघाट: मुंजारे से कांग्रेस मुश्किल में
बालाघाट संसदीय सीट पर भाजपा आगे दिखाई दे रही हैं। यहां पर भाजपा ने सांसद ढाल सिंह बिसेन का टिकट काट कर भारती पारधी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने सामान्य वर्ग से आने वाले सम्राट सरस्वार पर दांव लगाया है। यहां पर सामान्य वर्ग का वोट प्रतिशत बहुत कम है। हालांकि, लड़ाई पवार वर्सेस लोधी की है। बालाघाट से विधायक अनुभा मुंजारे लोधी समाज से आती हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को लोधी वोट मिल जाने थे, लेकिन अनुभा मुंजारे के पति पूर्व सांसद कंकर मुंजारे बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसका कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। 
मंडला : बंट रहे आदिवासी वोट
मंडला में भी भाजपा कांग्रेस से आगे दिखाई दे रही है। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने चुनौती है। दरअसल उनका जनता में विरोध है। कुलस्ते निवास सीट से विधानसभा चुनाव भी हार गए थे। हालांकि, भाजपा मुफ्त राशन, पीएम आवास, लाडली बहना योजना और मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ने विधायक ओमकार सिंह मरकाम को टिकट दिया है। कांग्रेस को आदिवासी वोटों पर भरोसा है। इस सीट पर आठ में पांच विधासभा सीटें कांग्रेस के पास है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव लड़ रही है। ऐसे में आदिवासी वोट बंटने से कांग्रेस को नुकसान होता दिख रहा है। 
जबलपुर: कांग्रेस 1991 के बाद से नहीं जीती
जबलपुर में भाजपा कांग्रेस के सामने बहुत मजबूत दिखाई दे रही है। इसका बड़ा कारण महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी और एकता ठाकुर का भाजपा में शामिल होना भी है। इससे कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है। यहां पर कांग्रेस ने आखिरी बार 1991 में जीत दर्ज की थी। इसके बाद से यहां पर भाजपा ही चुनाव जीतते आ रही है। यहां से भाजपा ने आशीष दुबे को और कांग्रेस ने दिनेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में रोड शो कर प्रदेश में चुनाव प्रचार का आगाज किया था। भाजपा हिंदूत्व और राम मंदिर को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है। 
शहडोल : मोदी फैक्टर व विकास आगे
शहडोल में भाजपा आगे दिखाई दे रही है। यहां की आठ विधानसभा सीट में से सिर्फ एक सीट पुष्पराजगढ़ सीट कांग्रेस के पास है। इस सीट से विधायक फूंदेलाल मार्को को ही कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने सांसद हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है। केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा आदिवासियों को मिल रहा है। वहीं, मोदी फैक्टर चल रहा है। इस क्षेत्र में भाजपा को विकास का भी फायदा मिलता दिख रहा है। 
सीधी: मुकाबला सीधा नहीं, फंस हुआ
सीधी सीट पर मुकाबला फंस गया है। यहां पर निर्दलीय प्रत्याशी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे है। इस लोकसभा सीट की आठ में से सिर्फ एक सीट चुरहट की कांग्रेस के पास है। भाजपा ने सामान्य वर्ग से आने वाले डॉ. राजेंद्र मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले पूर्व विधायक कमलेश्वर पटेल पर दांव लगाया है। भाजपा से बागी पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।
साभार अमर उजाला

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