पहलगाम के गुनहगारों की यूएन के एक्शन में देरी के पीछे क्या है वजह?
पाकिस्तान में पलने वाले और आए दिन भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंकी समूहों को यूएन में आतंकी संगठन का टैग मिलना भी मुश्किल हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन हर बार अड़ंगा लगाता है और लश्कर-जैश जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों को बचा लेता है। इस बार भी पहलगाम में मासूमों की जान लेने वाले लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकी संगठनों की सूची में शामिल करने के लिए अपने प्रयास में कसर नहीं छोड़ी।
भारत के प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति को टीआरएफ के खिलाफ पुख्ता सबूत सौंपे हैं। 1267 नाम की इस समिति का गठन 1999 में किया गया था। इसका काम आतंकियों की संपत्तियों को प्रीज करना और संगठन पर प्रतिबंध लगाना है। एनेआईए ने जो डोजियर तैयार किया है उसमें 26/11 का आतंकी हमला, पुलवामा आतंकी मला. 2016 का पठानकोट हमला और 2001 का संसद पर होने वाला हमला भी शामिल है।
चीन पड़ोसी पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है और वह आतंक के मामले में भी पाकिस्तान का ही साथ देता दिखाई देता है। ऊपर से भले ही वह आतंकियों की निंदा करने का दिखावा करता हो लेकिन जब बात आती है यूएन में आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल करने की तो वह अड़ंगा लगा देता है। पहलगाम के हमले के बाद भी चीन के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से बात करके उनका समर्थन जताया था।
साभार लाइव हिन्दुस्तान