जब महत्वाकांक्षा अपराध में बदल जाए... "बेटियों को बम नहीं, संस्कार दीजिए।"
संपादकीय
आज के दौर में जब हम बेटियों की आज़ादी, आत्मनिर्भरता और समानता की बात करते हैं, वहीं कुछ घटनाएं हमें झकझोर देती हैं। उत्तर प्रदेश की सोनम रघुवंशी प्रकरण भी एक ऐसी ही भयावह सच्चाई को उजागर करता है — जब प्यार, महत्वाकांक्षा और आधुनिकता की परिभाषा में नैतिकता गुम हो जाती है।
मेघालय में हुए पति राजा रघुवंशी की हत्या और सोनम की ग़ायबगी को लेकर देशभर की संवेदनाएं जागीं थीं। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा काली और खौफ़नाक निकली। जांच में यह सामने आया कि सोनम ही अपने पति की हत्या की साजिशकर्ता थी, जिसने न सिर्फ पति की हत्या करवाई, बल्कि खुद को भी 'लापता' दिखाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अपने कपड़े और सामान घटनास्थल पर फेंक दिए।
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस गिरते सामाजिक और पारिवारिक ढांचे की ओर संकेत करती है, जहां रिश्तों को अब समझदारी से नहीं, सुविधा से जोड़ा जाता है। जहां विवाह अब एक बंधन नहीं, एक सौदा बनता जा रहा है। और इसमें पुरुष और महिलाएं दोनों की ही जिम्मेदारी बनती है।
महत्वकांक्षा जब विकृति बन जाए... बेटियों को सपने देखने से कौन रोक सकता है? लेकिन जब उन सपनों की नींव ही झूठ, छल और स्वार्थ पर हो, तो उनका अंत अपराध में होता है। यह जिम्मेदारी मां-बाप की भी है कि वे केवल स्वतंत्रता नहीं, संस्कार भी दें। बेटियों को आत्मनिर्भर तो बनाएं, लेकिन संवेदनशील भी बनाएं।
नारीवाद का गलत चेहरा नहीं, गलत इस्तेमाल पहचानिए यह नारीवाद नहीं कि कोई स्त्री झूठे मामलों में पुरुषों को फंसाए, या हत्या जैसी साजिशें रचे। ऐसे मामलों को नारी सशक्तिकरण से जोड़ना भी सही नहीं। गलत को गलत और अपराध को अपराध ही कहा जाना चाहिए — चाहे वह महिला करे या पुरुष।
समाज को अब सजग होना होगा आज की डिजिटल दुनिया में ‘रिलेशनशिप’ केवल स्टेटस बनकर रह गए हैं। ‘प्यार’ की जगह ‘डील’ ने ले ली है। यह चेतावनी है हर उस व्यक्ति के लिए जो आंख मूंदकर रिश्तों पर विश्वास करता है — अब सतर्क रहिए।
निष्कर्ष:
सोनम रघुवंशी का मामला हमें सिखाता है कि केवल बेटी को आधुनिक बनाना काफी नहीं, उसे नैतिक, जिम्मेदार और संवेदनशील बनाना भी जरूरी है। जिस समाज में चरित्रहीनता को अपराध नहीं माना जाएगा, वहां ऐसे अपराध दोहराए जाएंगे।
आइए, बेटियों को ‘बम’ नहीं, ‘संस्कार’ और आत्मबल दें — ताकि वे परिवार की नींव बनें, उसका विस्फोट नहीं।