अष्टभुजा दुर्गा की शक्ति का प्रतिरूप है स्त्री

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प्राय: जिस रूप में जीव का इस संसार में प्रकटीकरण होता है वही उसका मूल स्वभाव होता है। प्रकृति में प्रत्येक तत्व, पदार्थ, पेड़-पौधे, जीव-जंतु अपने मूल स्वभाव के अनुसार ही कार्य करते हैं।  करोड़ों वर्षों की उत्क्रांति के बाद मनुष्य अपनी विशिष्टता में स्थापित हुआ है। मानव रूप में परमात्मा ने प्रकृति के वाम पक्ष को स्त्री के रूप में व दांए पक्ष को पुरुष के रूप में विशिष्टता प्रदान की है। इस प्रकृति में हम स्त्री - पुरुष इस स्थिति में है कि यदि आगे बढ़ें तो देवत्व को प्राप्त कर सकते हैं और पीछे चलें तो पुनः निकृष्ट जीव की स्थिति में  पहुंच सकते हैं। मनुष्य में भी स्त्री को सृष्टा ने अष्टभुजा दुर्गा की शक्तियां प्रदान की हैं। स्त्री का कार्य इसीलिए पुरुष की तुलना में विशिष्ट होता है वह स्वयं के साथ-साथ पुरुष का भी निर्माण करती है। निर्माण ही उसकी शक्ति है व उत्क्रांति का मार्ग भी है। निर्माता का हृदय विशाल होता है, उसकी सोच के दायरे संकुचित नहीं होते तभी तो वह दूसरों के लिए निर्माण कर पाता है। 
   श्री माताजी निर्मला देवी जी ने इस संदर्भ में अपने विचारों को अपनी अमृतवाणी में इस प्रकार प्रकट किया है कि-
   ".......मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं एक स्त्री हूं, क्योंकि स्त्रियां अनेक कार्य कर सकती हैं जो पुरुष नहीं कर सकते। स्त्री भूमि मां के समान है, सो हम कह सकते हैं कि पुरुष सूर्य के समान है। दोनों को जुड़ना है। सूर्य को हटाया जा सकता है पर पृथ्वी को नहीं। रात के समय सूर्य नहीं होता पर फिर भी हम रहते हैं।
   परंतु भूमि माता को देखिए, उसे कितना कुछ सहन करना पड़ता है। देखिए वह कितनी समझदार है। वह बिना किसी शिकायत के सुंदर फूल, सुंदर पेड़ सब कुछ हमारे लिए बनाfती है और तो और वह हमारा पोषण करती है। जबकि हम उसके विरोध में कितने सारे पाप करते हैं। पर सूर्य पृथ्वी नहीं बनना चाहता और पृथ्वी सूर्य नहीं बनना चाहती। वे जानते हैं कि वे विशेष कार्य के लिए स्थित है....।"
(1988, इनट्यूशन एंड विमेन, पेरिस)
  अतः अपनी विशिष्टता में स्थापित होने के लिए यह आत्म ज्ञान आवश्यक है कि आपको विशेष कार्यों के लिए निर्मित किया गया है आप विशिष्ट हैं अतः आपको किसी और का अंधानुकरण करने की आवश्यकता नहीं है। दुर्गा पूजा के इस शुभ अवसर पर अपने देवत्व को प्राप्त करने हेतु श्री माताजी के सानिध्य में अपना आत्मसाक्षात्कार अवश्य प्राप्त करें।
कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु  टोल फ्री नम्बर  18002700800 पर सम्पर्क करें।

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