शब्द बुद्धि का संवाद है जबकि परमशक्ति से योग हृदय का समर्पण
सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी का वर्णन करने योग्य शब्द शायद ही कोई जुटा सकता है। विश्व के अनेक देशों में बड़े शहरों से लेकर छोटे गांवों तक में लाखों साधकों ने श्री माताजी के आशीर्वाद को, उनके गुरुत्व को तथा उनकी दिव्यता को आत्मसात् किया। श्री माताजी का अवतरण मानव सभ्यता के विकास क्रम में एक ऐसा पड़ाव है जो मानव की उत्पत्ति को संपूर्णता प्रदान करता है। श्री कृष्ण ने रणक्षेत्र में अर्जुन के माध्यम से योग, कर्म व भक्ति का जो संदेश इस संसार को गीता के रूप में प्रदान किया श्री माताजी ने उसी ज्ञान को कुंडलिनी की जागृति द्वारा बड़े ही सहज तरीके से साधकों के अंत:करण में प्रकाशित कर दिया। सहजयोग वास्तव में शब्दों का नहीं वरन् अनुभव का ज्ञान है। शब्द बुद्धि का संवाद है जबकि परमशक्ति से योग हृदय का समर्पण जहां शब्दों के लिए कोई स्थान नहीं होता।
श्री माताजी परमशक्ति हैं कोई भी व्यक्ति उनकी व्याख्या नहीं कर सकता। हम उन्हें कुछ दे नहीं सकते सिर्फ़ उनसे पा सकते हैं। जिस क्षण हम संपूर्ण रूप से उनके श्री चरणों पर समर्पित हो जाते हैं उनकी कृपा का अमृत सभी ओर से हम पर बरसने लगता है। श्री माताजी प्रेम व करूणा का सागर हैं, शक्ति का प्रदीप्त सूर्य हैं, शीतल चेतन्य को प्रवाहित करने वाला चंद्र हैं, धैर्य को धारण करने वाली धरा हैं। उनके लिए कुछ भी असम्भव नहीं बस आपका विश्वास, समर्पण व भक्ति अखंड होनी चाहिए। श्री माताजी ने स्वयं ये दिव्य संदेश दिया है कि,
"हर कदम, हर जगह आपके साथ हम खड़े हैं, हर जगह कहीं पर भी आप हो कहीं पर भी आप रहो हर जगह हम आपके साथ हैं काया, मन, वाचा पूर्णतया। यह हमारा प्रॉमिस है एक पल भी आपसे दूर नहीं। जिस पल भी आप आंख बंद कर मुझे याद करेंगे मैं पूर्ण शक्ति लेकर शंख, चक्र, गदा पद्म, गरुण ले सिधाए। एक क्षण भी विलम्ब नहीं लगेगा लेकिन आपको मेरा होना पड़ेगा ये जरूरी है यदि आप मेरे हैं तो एक क्षण भी नहीं लगेगा मैं आपके पास आ जाऊंगी। सबको परमात्मा सुखी रखे, सुबुद्धि दे, सन्मति से रहो।"
श्री माताजी के इस दिव्य आशीर्वाद की छत्रछाया को प्राप्त करने हेतु जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in