भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद फिर से संकट की आहट: पीथमपुर में कचरा जलाने की योजना पर उठे सवाल
पीथमपुर: 40 साल पहले 1984 में भोपाल गैस त्रासदी ने न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यूनियन कार्बाइड से लीक हुए जहरीले गैस के कारण हजारों लोग मारे गए, और लाखों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। अब, चार दशकों बाद, पीथमपुर में कचरा जलाने की योजना एक बार फिर से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
करणी सेवा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री धर्मेंद्र गौतम जी ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने रणजीत टाइम्स से बातचीत में कहा, "भोपाल गैस त्रासदी ने हमें सबक दिया कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कितनी घातक हो सकती है। लेकिन ऐसा लगता है कि हम उस त्रासदी से कुछ नहीं सीखे हैं। पीथमपुर में कचरा जलाने की योजना उसी लापरवाही की पुनरावृत्ति है।"
पर्यावरणीय खतरा और जनता की चिंताएं
कचरा जलाने से निकलने वाले जहरीले धुएं से क्षेत्र के पर्यावरण पर भारी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना हवा और मिट्टी को प्रदूषित कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि होगी। भोपाल गैस त्रासदी के बाद भी ऐसे कई मामले सामने आए जहां पर्यावरणीय खतरों को नजरअंदाज किया गया, और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा।
श्री गौतम ने चेतावनी दी कि "कचरा जलाने से हवा में जहरीले तत्व फैलेंगे, जो सांस की बीमारियां, कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए और ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जो भविष्य के लिए खतरनाक हो।"
सरकार से अपील और चेतावनी
करणी सेवा ने सरकार से निवेदन किया है कि वह इस योजना पर तत्काल रोक लगाए और कचरे के निपटान के लिए वैकल्पिक, पर्यावरण-अनुकूल समाधान अपनाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है, तो करणी सेवा संगठन जनता के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन करेगा।
श्री गौतम ने कहा,
"हम माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करते हैं कि भोपाल गैस त्रासदी के जैसे किसी अन्य संकट से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। यदि सरकार ने यह योजना लागू की, तो हम इसे रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।"
भोपाल त्रासदी की यादें आज भी जिंदा
भोपाल गैस त्रासदी की भयावहता आज भी मध्य प्रदेश के लोगों के जहन में ताजा है। इस त्रासदी ने न केवल हजारों जिंदगियां लीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित किया। अब, पीथमपुर में कचरा जलाने की योजना एक बार फिर से वैसी ही स्थिति पैदा करने की आशंका जता रही है।
स्थानीय जनता और संगठनों का समर्थन
स्थानीय निवासी भी करणी सेवा के साथ इस योजना का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को खतरे में डालने की यह योजना भोपाल त्रासदी जैसे संकट को जन्म दे सकती है।
रणजीत टाइम्स सरकार से अपील करता है कि जनता और पर्यावरण के हित में जिम्मेदार कदम उठाए जाएं और पीथमपुर को संभावित आपदा से बचाया जाए।
रिपोर्टर: रणजीत टाइम्स न्यूज डेस्क

