हरियाणा की हार से कांग्रेस महाराष्ट्र में सावधानी से उठा रही कदम

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नई दिल्ली। कांग्रेस को हाल ही में संपन्न हरियाणा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सहयोगियों ने भी तंज कसा और नसीहतें दी। इन तमाम घटनाक्रमों के बाद कांग्रेस 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सावधानी से कदम उठाती दिख रही है। कांग्रेस शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) से अधिक सीटें मांगते हुए संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है। यह भी सुनिश्चित कर रही है कि उनका महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बरकरार रहे।
कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह हरियाणा में की गई गलतियों को दोहराना नहीं चाहती है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐसे राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती, जहां उसका दलित-मुस्लिम वोट आधार मजबूत है और जहां उसने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। कांग्रेस को महाराष्ट्र में 13 सीटें मिलीं।
महाराष्ट्र में काम करने की जिम्मेदारी दिए गए एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, "महाराष्ट्र में हमारी समस्याएं हरियाणा से अलग हो सकती हैं क्योंकि हमारे पास भूपिंदर हुड्डा जैसा कोई बड़ा नेता नहीं है जो वहां अभियान संभाल रहे थे। लेकिन सहयोगी दलों को खुश रखने के साथ-साथ सीट बंटवारे पर दृढ़ रहना भी महत्वपूर्ण है।" उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) उन सहयोगी दलों में शामिल थी जिन्होंने कहा था कि कांग्रेस को और अधिक समायोज्य होना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का कार्यालय महाराष्ट्र चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों पर कड़ी नजर रख रहा है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "बैठकों के दौरान इस बात पर चर्चा हुई है कि हम चीजों को हरियाणा की तरह नहीं होने दे सकते। महाराष्ट्र में पार्टी और विशेष रूप से इच्छुक उम्मीदवारों के प्रबंधन में अधिक शामिल होना चाहती है।"
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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