अहमदाबाद एयर इंडिया हादसा — किसने क्या कहा और क्या सीखा?

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संपादकीय

(रणजीत टाइम्स | 14 जून 2025)
अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 का दुर्घटनाग्रस्त होना भारत के लिए केवल एक तकनीकी हादसा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय शोक की घड़ी है। इस हादसे में 241 निर्दोष जिंदगियाँ खत्म हो गईं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जैसे वरिष्ठ नेता से लेकर सामान्य नागरिक, छात्र और बच्चे तक शामिल हैं।
लेकिन जब त्रासदी आती है, तब न केवल आँसू बहाए जाते हैं, बल्कि प्रतिक्रियाएँ भी देश के चरित्र को परिभाषित करती हैं।
नेताओं की प्रतिक्रिया: संवेदना और सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को "दिल दहला देने वाला" करार दिया और घटनास्थल पर पहुँच कर राहत कार्यों की समीक्षा की। उनकी संवेदना से प्रभावित परिवारों को थोड़ी सांत्वना ज़रूर मिली, लेकिन एक बड़ा सवाल भी उठता है — क्या हमारी तैयारियाँ ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त हैं?
गृह मंत्री अमित शाह का बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि “इतना ईंधन था कि किसी को बचाना संभव नहीं था”, यथार्थपरक जरूर था लेकिन कुछ लोगों को यह संवेदनहीन भी लगा। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे "act of God" बताने की आलोचना की और सुरक्षा में लापरवाही के संकेत दिए।
एयर इंडिया और प्रशासन: अब सवालों के घेरे में
एयर इंडिया के CEO के अनुसार, दुर्घटना की जांच के लिए ब्लैक बॉक्स बरामद हो चुका है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त जाँच की जा रही है। सवाल ये है कि क्या यात्रियों की सुरक्षा के मानक सिर्फ कागज़ों में हैं?
विश्व स्तर पर भी संवेदना
ब्रिटेन, कनाडा, चीन और रूस सहित कई देशों के नेताओं ने भारत को संवेदना संदेश भेजे हैं। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उड्डयन व्यवस्था को लेकर एक बार फिर कठघरे में खड़ा करती है।
अब आगे क्या?
यह संपादकीय केवल नेताओं की प्रतिक्रियाओं का संकलन नहीं, बल्कि एक गहरी सोच की मांग है। हमें यह देखना होगा कि क्या हमारी व्यवस्थाएँ सिर्फ हादसे के बाद बोलती हैं या पहले भी कुछ करती हैं?
क्या विमानों का रूटीन निरीक्षण सिर्फ नाम मात्र है?
क्या टेक-ऑफ के पहले की सुरक्षा प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता है?
और क्या नेताओं की संवेदना के साथ जवाबदेही भी जुड़ी है?
संवेदनाओं के साथ सजगता भी ज़रूरी है
सिर्फ मोमबत्तियाँ जलाकर और ट्वीट कर देने से हादसे नहीं रुकते। अब समय है कि सरकार, प्रशासन और एयरलाइंस – तीनों मिलकर ईमानदारी से जवाब दें कि आगे ऐसा दोबारा न हो।
वरना अगली बार फिर कोई माँ अपने बेटे का इंतज़ार करती रह जाएगी… और कोई उड़ान, वापस ज़मीन पर कभी नहीं आएगी।
– रणजीत टाइम्स संपादकीय टीम

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