ईश्वरीय अनुकंपा युक्त उत्साहवर्धक, स्वस्थ जीवन शैली सहजयोग से संभव

  • Share on :

आज वो दौर है जब संपूर्ण विश्व में आध्यात्मिक ध्यान योग को स्वीकारा जा रहा है|   विदेशों में भी इस शोध पर मुहर लगा दी गई है कि परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा विकसित ध्यान योग विधा मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज़ से  बेहद फायदेमंद है | 
इसीलिए परम पूज्य श्री माताजी ने कहा है  मनुष्य को स्वंय पर दया करनी है और अपनी आत्मा को प्रकाशित करने का संकल्प  लेना है| मनुष्य को यह स्वीकारना भर है कि वह शरीर से परे आत्मा है। श्री माँ निर्मला देवी की प्रतिमा के समक्ष बैठकर बड़ी सहजता से पूछा जाना है कि हे मां क्या मैं आत्मा हूँ? या,  हे मां क्या मैं स्वयं का गुरु हूँ?.. प्रतिउत्तर में सहजता से प्रवाहित होने वाली चैतन्य लहरियां प्रश्न का समाधान देती है|  
    लेकिन इस प्रकार के आत्मिक संवाद माँ के साथ प्रस्थापित करने के पूर्व मनुष्य को आत्म साक्षात्कार प्राप्त करना होता है जो बेहद आसान है|   आत्म साक्षात्कार लेने के पूर्व या लेते समय गुरु माँ होती है, लेकिन आत्म साक्षात्कार लेने के बाद साधक स्वयं का गुरु हो जाता है|   आत्म साक्षात्कार लेने के बाद मनुष्य स्वयं को पहचानने लगता है|   अंतर स्थित स्वयं के गुरु होने का भाव व स्वयं के आत्मा होने का ज्ञान हर ज्ञान से सर्वोपरि है।
  सहजयोग ध्यान पद्धति एक ऐसी मौन साधना है, जिसमें स्थित होते ही विचार का प्रवाह थमने लगता है.. तत्काल नहीं...धीरे धीरे|  ध्यान योग की इस विधि से मनुष्य में आत्मिक अनुशासन आता है|   अनावश्यक चिंतायें व सोच बेहद सरल तरीके से पंच तत्व में विलिन होने लगती है और साधक विचार शून्यता के चरण में प्रवेश कर जाता है यानि विचार ठहर जाते हैं|   परंतु ध्यानमग्न साधक तब भी सचेत व जागरूक रहता है|   अपने अंदर हो रहे बदलाव और सुख शांति को अनुभव करता है|  यह स्थिति ही मनुष्य की शारीरिक व मानसिक सेहत बढ़ाती है|   एक उत्साहवर्धक जीवन शैली व स्वयं की आत्मा को  पहचान ईश्वरीय अनुकंपा के अधिकारी  बनना स्वयं के लिए रोमांचक है|  तो हम सभी मिल आत्म साक्षात्कार प्राप्त करते हैं,  जो पूर्णतया व सदैव निशुल्क है|
     अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper