"बाबासाहेब: विचार नहीं, क्रांति का नाम है"

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डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर — एक ऐसा नाम, जो सिर्फ संविधान निर्माता नहीं बल्कि सामाजिक चेतना के अग्रदूत थे। उन्होंने न केवल भारत को एक वैज्ञानिक सोच, समानता का अधिकार और न्याय आधारित व्यवस्था दी, बल्कि उन करोड़ों दबे-कुचले लोगों को आवाज़ दी, जिनकी पहचान समाज ने छीन ली थी।

आंबेडकर जी का जीवन एक संघर्ष नहीं, संघर्षों की श्रृंखला था। बचपन में भेदभाव, शिक्षा में अवरोध, नौकरी में असमानता और राजनीति में बहिष्कार — उन्होंने सबका सामना किया, लेकिन कभी झुके नहीं।

उनकी सबसे बड़ी देन — भारत का संविधान — आज भी दुनिया के सबसे लोकतांत्रिक दस्तावेज़ों में से एक है। "शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो" का उनका मंत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना स्वतंत्रता के बाद था।

आज जब समाज फिर से जातिवाद, असमानता और पक्षपात की ओर झुकता दिखाई देता है, तब बाबासाहेब के विचारों की रोशनी में चलना और भी आवश्यक हो गया है।
आंबेडकर सिर्फ अतीत की विरासत नहीं, भविष्य का रास्ता हैं।

रंजीत टाइम्स बाबासाहेब को शत्-शत् नमन करता है और देश के युवाओं से आग्रह करता है कि वे उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारें — क्योंकि वही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

– गोपाल गावंडे
प्रधान संपादक, रणजीत टाइम्स

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