बंशकार समाज को जातियों की तीन अलग-अलग सूचियों में रखा, एक जगह समाहित करने की उठाई मांग

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राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन 
टीकमगढ़ – केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने की बात कही है, जिसको लेकर अब सभी जातियों में खुशी का माहौल है, कि कही न कही उनकी जाति की अब गिनती की जाएगी और उन्हें अब जनसंख्या के हिसाब से योजनाओं का लाभ मिलेगा । लेकिन मध्यप्रदेश में बंशकार समाज की उपजातियों को तीन अलग-अलग क्रमांको पर दर्शाया गया है, जिससे मध्यप्रदेश में बंशकार समाज तीन हिस्सों में बट गई है, जिसको लेकर आज बंशकार समाज के जिलाध्यक्ष मातादीन बंशकार (रिटायर्ड पटवारी) के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया। जिसमें बंशकार समाज के जिलाध्यक्ष मातादीन बंशकार ने जानकारी देते हुए बताया कि
हमारे समाज का प्रमुख पैतृक कार्य बैंड बाजा बजाना, जंगल से बांस काटकर बांस के बर्तन बनाना, प्रसव कार्य करना (जो समाप्त हो गया है) कृषि कार्य एवं पशुपालन करना रहा है। हमारी समाज संपूर्ण भारत में विद्यमान है और वहां के भौगोलिक एवं क्षेत्रीयता के आधार पर अलग-अलग नाम से जानी जाती है। वही मध्य प्रदेश राजस्व भाग 4 (ख) में दिनांक 1 जुलाई 1977 को प्रकाशित प्रथम अनुसूची संविधान (अनुसूचित जाति) धारा 3, अध्यादेश 1950 अनुसूचित जातियों की सूची के अनुसार जहां अन्य जाति अपने सभी क्षेत्रीय एवं उपजाति सहित एक ही क्रमांक या कोड पर अंकित है। वही हमारी समाज की जाति को तीन क्रमांकों पर दर्शाया गया है, जिसमे क्रमांक 6 पर बराहर, बसोड़, क्रमांक 8 पर बसोर, बुस्ड़, बांसौर, बांसोड़ी, बांसफोर, वसार और क्रमांक 20 पर धानुक अंकित किया गया है।
उक्त क्रमांक या कोड में दर्शाई गई जातियां एक दूसरे के पूरक हैं एवं सामाजिक एवं पारिवारिक गतिविधियों का आपस में व्यवहारिकता एवं संबंध है। किंतु अलग-अलग क्रमांकों पर विभक्त होने के कारण आज भी हमारी जाति समाज की मुख्य धारा से कोसो दूर है और राजनीतिक एवं प्रशासनिक लाभो से भी वंचित है। जिससे तीन जगहों पर अलग-अलग अंकित जातियों को एक ही कोड (क्रमांक) में रखे जाने की मांग की है। इस दौरान प्रभुदयाल बंशकार, भजन लाल आजाद, विशन बाबाजी, भूपेंद्र वर्मा, जितेंद्र, मदन लाल वंशकार, संतराम बंशकार, गोकुल प्रसाद, जयराम वंशकार, महेंद्र वंशकार, सोमित, महिपाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे ।

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