बानू मुश्ताक की लघु कहानी हार्ट लैंप को मिला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

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कर्नाटक की रहने वाली कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक की लघु कहानी हार्ट लैंप को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके साथ ही इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद लिखने वाली दीपा भस्थी को भी संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया। बानू की हार्ट लैंप अब लंदन के मशहूर जीबीपी 50,000 में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ किताब बन गई है।
बुकर पुरस्कार मिलने से उत्साहित बानू ने कहा, “यह एक ही आकाश को रोशन करने वाले हजारों जुगनू जैसा लगता है.. पूरी तरह से शानदान और सामूहिक”
कर्नाटक की मशहूर कन्नड़ लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता 77 वर्षीय बानू मुश्ताक अपने महिला केंद्रित साहित्य के लिए जानी जाती हैं। हार्ट लैंप के पहले भी उनकी कई रचनाएं प्रकाशित हुई है। इतना ही नहीं वह कई बार कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भी रह चुकी हैं। बानू को लेखिका के अलावा महिला अधिकारों की वकालत करने और भेदभाव पर सवाल उठाने के उनके कानूनी काम के लिए भी जाना जाता है।
अपनी कहानियों को लेकर मुश्ताक का कहना है कि उनकी रचना दर्शाती हैं कि कैसे धर्म, समाज और राजनीति महिलाओं से बिना सवाल किए आज्ञाकारिता की मांग कर दी है। वह इतने पर ही नहीं रुकतीं इतना करने के बाद भी वह महिलाओं के ऊपर क्रूरता दिखाती हैं।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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