साक्षी स्वरूप होना आध्यात्मिक उत्थान की उच्च अवस्था है
सहज योग संस्थापिका परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी के अनुसार श्री कृष्ण जो हमारे शरीर में विशुद्धि चक्र के स्वामी हैं, श्री विष्णु शक्ति का पूर्ण अवतार हैं। भगवान श्री कृष्ण का मुख्य संदेश है साक्षीभाव की जागृति। यह संदेश जितना सरल दिखाई देता है उतना ही कठिन है। एक आत्मज्ञानी व्यक्ति ही इस संदेश की गूढ़ता को सही रूप में समझ सकता है। जब तक व्यक्ति को आत्मा का ज्ञान नहीं होता वह मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं कर सकता, और हमारा मस्तिष्क सोचता चला जाता है तथा अपने चारों ओर माया का फंदा बनाता जाता है और उसमें स्वयं ही फंसता जाता है। इस प्रकार हम साक्षी स्वरुप होने के भाव से कोसों दूर हो जाते हैं।
श्री माताजी के अनुसार, "यह सब खेल है अर्थात हमें इस नाटक का दर्शक बनना है, माया में हमें खो नहीं जाना है। आप यदि दर्शक हैं तो माया और उसकी कार्यशैली को देख सकते हैं।"
इस साक्षी भाव को विकसित करने के लिए श्री माताजी ने हमें प्रतिक्रिया ना करने का मार्ग सुझाया है। आज के दौर में जब हम तमाम सोशल प्लेटफॉर्म्स से जुड़े हुए हैं छोटी-छोटी बातों या घटनाओं पर तीव्र प्रतिक्रिया करना हम अपना अधिकार मान बैठे हैं। प्रतिक्रियाओं के द्वारा हम अपने मन को इतना उलझा देते हैं कि हमारी निर्णय करने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
श्री माताजी के अनुसार, "मनुष्य प्रतिक्रिया तभी करता है जब उसका परमात्मा से संबंध विच्छेद हो जाता है।"
श्री माताजी के समक्ष जब आप आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लेते हैं तब आप परमात्मा की परम चैतन्यता को अनुभव कर पाते हैं और साक्षी भाव को भी प्राप्त कर लेते हैं। श्री माताजी कहती हैं कि बिना बोले, बिना कुछ कहे साक्षी अवस्था में आप शक्तिशाली हो जाते हैं तथा अनेक समस्याओं को सहज ही सुलझा पाते हैं। साक्षी अवस्था मानसिक स्थिति नहीं है अपितु यह आध्यात्मिक उत्थान की अवस्था है। एक बार जब आप बाह्य चीजों के प्रति प्रतिक्रिया करना बंद कर देते हैं तो अंतस में प्रतिक्रिया होती है और अंतर्दर्शन प्रारंभ हो जाता है।
साक्षी अवस्था में रहने वाले लोगों में कई रोचक परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं उनकी स्मरण शक्ति का ह्रास कम हो जाता है, वे हर देखी हुई चीज की बारीकियों को बता सकते हैं, समस्याओं के सही समाधान ढूंढने में सक्षम हो जाते हैं, माया का प्रभाव ऐसे व्यक्तियों पर नहीं होता तथा वे सदैव आनंद की स्थिति में रहते हैं। आनंद की साक्षी अवस्था को प्राप्त करने हेतु सहज योग महत्वपूर्ण माध्यम है।
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