दुर्बल रहना अपराध है, इसलिए हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत : बोले RSS प्रमुख

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नई दिल्ली। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में दशहरा समारोह की शुरुआत 'शस्त्र पूजा' से की। हर साल विजयादशमी के मौके पर RSS ये कार्यक्रम करता है। इस मौके पर भागवत RSS के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। RSS कार्यकर्ताओं के लिए ये दिन खास होता है। दरअसल, विजयादशमी के दिन RSS पूरे विधि-विधान से शस्त्र पूजा करता है। 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन ही RSS की स्थापना हुई थी।
RSS चीफ मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अहिल्‍यबाई होल्‍कर और दयानंद सरस्वती की ओर से देश सेवा के लिए किए गए कार्यों को याद करते हुए कहा, 'अहिल्‍यबाई होल्‍कर अत्यंत विपरित परिस्थिति में राज्य चलाती हैं, रणनीति के कौशल का परिचय देती है, अपने राज्यों को संभालती ही हैं, लेकिन सारे देश में धर्म-संस्कृति का उत्थान हो, इसके लिए जगह जगह मंदिर बनाती हैं, धर्मशाला बनवाती हैं, अपने लिए कुछ ना करते हुए एक आदर्श उपस्थित करती है, हम इस मौके पर उनका स्मर्ण करते हैं।'
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो भी हुआ हम सबने देखा। वहां जो उत्पात मचा उसकी कुछ तात्कालिक वजहें थीं। लेकिन इतना बड़ा उत्पात हुआ इसके पीछे के बड़े कारण समझना जरूरी है। वहां फिर बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। फिर हिंदुओं को अपनी रक्षा के लिए आगे आना पड़ा। दुर्बलों पर अत्याचार करने वाली कट्टरपंथी शक्ति वहां के सभी अल्पसंख्यकों के लिए खतरनाक है। भारत सरकार की सहायता उनको मिलनी ही चाहिए। दुर्बल रहना अपराध है, इसलिए हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।
देश के दुश्‍मनों की ओर इशारा करते हुए मोहन भागवत ने कहा, 'भारत लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन जब कोई भी देश जो आगे बढ़ रहा है, उसकी राह में अडंगा लगाने वाले लोग भी बहुत सारे होते हैं। इसलिए दूसरे देशों की सरकारों को कमजोर करना दुनिया में चलते रहता है। अब हमारे पड़ोस में बांग्‍लादेश में क्या हुआ हमने देखा। उस उत्पात के कारण हिंदू समाज पर फिर से हमला हुआ। वहां कट्टरपन की मानसिकता जब तक है, तब तक वहां हिंदुओं ही नहीं बल्कि अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले का खतरा बरकरार रहेगा।'
साभार नवभारत टाइम्स 

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