भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा: 40 साल बाद पीथमपुर में निपटान की शुरुआत

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रणजीत टाइम्स
खबर का विवरण: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में बचे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कचरा अब इंदौर के पास पीथमपुर में स्थित रामकी कंपनी के इंसीनरेटर में जलाया जाएगा।
यह निर्णय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद लिया गया, जिसमें चार सप्ताह के भीतर कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया। प्रशासन ने कचरे को भोपाल से पीथमपुर तक ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया है।

प्रक्रिया और तैयारी:
1. सुरक्षित परिवहन:
कचरे को भोपाल से पीथमपुर तक लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर विशेष ट्रकों में लाया जाएगा। इन ट्रकों में कचरे को लीक-प्रूफ कंटेनरों में रखा गया है।

2. जलाने की प्रक्रिया:
कचरे को अत्यधिक तापमान पर जलाया जाएगा।
धुएं और अवशेषों को चार स्तरीय फिल्टर प्रणाली से गुजरने दिया जाएगा, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
वैज्ञानिक जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कचरा पूरी तरह से नष्ट हो गया है।

3. समय सीमा:
निपटान की प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने की योजना है। यदि प्रक्रिया के दौरान कोई पर्यावरणीय समस्या पाई जाती है, तो समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।

स्थानीय विरोध और चिंता:
पीथमपुर और आसपास के निवासियों ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है।
उनका कहना है कि पहले भी कचरे के जलने से वायु और जल प्रदूषण हुआ है।
कचरे के निपटान से निकलने वाले विषैले धुएं के कारण स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की आशंका है।

सरकारी आश्वासन:
राज्य के गैस राहत विभाग ने कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक और पर्यावरण के अनुकूल होगी।
विशेषज्ञों की टीम पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखेगी।
स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए गए हैं।

विशेषज्ञों की राय:
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे पारदर्शिता और सावधानी के साथ पूरा करना होगा।
वैकल्पिक तकनीकों जैसे बायो-रेमेडिएशन पर भी विचार किया जा सकता है।
स्थानीय समुदाय को प्रक्रिया में शामिल करना जरूरी है।

निष्कर्ष:
भोपाल गैस त्रासदी का यह जहरीला कचरा आज भी हमारे पर्यावरणीय प्रबंधन की परीक्षा है। इसे सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करना एक चुनौती है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रक्रिया से पर्यावरण और स्थानीय निवासियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

रणजीत टाइम्स: 
आपकी सुरक्षा, हमारी जिम्मेदारी।

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