क्षिप्रा नदी में मिला कार और महिला आरक्षक आरती पाल का शव, 68 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
रणजीत टाइम्स – विशेष समाचार
उज्जैन। उज्जैन में शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। शिप्रा नदी में गिरी पुलिस की कार से तीन अधिकारियों की मौत हो गई। मंगलवार देर शाम लगभग 68 घंटे की मशक्कत के बाद महिला आरक्षक आरती पाल (30 वर्ष) का शव कार से बरामद किया गया।
हादसा कैसे हुआ?
शनिवार की रात उन्हेल थाना प्रभारी अशोक शर्मा (58), सब-इंस्पेक्टर मदनलाल निनामा (57) और महिला आरक्षक आरती पाल गुमशुदा किशोरी की तलाश में निकले थे। लौटते समय उनकी कार बड़नगर पुल के पास संतुलन बिगड़ने से तेज़ बहाव में शिप्रा नदी में गिर गई।
रविवार सुबह सबसे पहले थाना प्रभारी अशोक शर्मा का शव बरामद हुआ।
सोमवार को एसआई मदनलाल निनामा का शव नदी से निकाला गया।
मंगलवार शाम कार के भीतर कीचड़ में फंसा महिला आरक्षक आरती पाल का शव मिला।
रेस्क्यू ऑपरेशन
इस पूरे अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होम गार्ड और स्थानीय गोताखोरों ने तीन दिनों तक लगातार खोजबीन की।
रेस्क्यू में ड्रोन, मशीनी नावें, क्रेन और आधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया।
स्थानीय गोताखोर मोहम्मद इरफान ने कार के भीतर शव की लोकेशन बताई जिसके बाद आरती पाल का शव निकाला जा सका।

एसपी प्रदीप शर्मा का बयान
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने घटनास्थल पर मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि “तीनों पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शहीद हुए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था लेकिन टीम ने लगातार प्रयास कर सभी शवों को बरामद कर लिया।”
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राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जितु पटवारी ने इस घटना को गंभीर लापरवाही बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि “शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को स्थायी नौकरी और उचित मुआवज़ा मिलना चाहिए।”
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शहीद पुलिसकर्मी
अशोक शर्मा – थाना प्रभारी, उन्हेल
मदनलाल निनामा – सब-इंस्पेक्टर
आरती पाल – महिला आरक्षक
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इस हृदयविदारक हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि आखिर क्यों पुल पर सुरक्षा इंतज़ाम पुख़्ता नहीं थे और ऐसी दुर्घटनाएँ बार-बार क्यों हो रही हैं।
✍️ संपादक – गोपाल गावंडे

