बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर केंद्र ने राज्यों को दी 30 दिन की मोहलत, दस्तावेज की जांच कर बाहर निकाले

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नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बांग्लादेश और म्यांमार से आए उन संदिग्ध अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके दस्तावेजों की जांच के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 30 दिन की समय सीमा दी है, जो स्वयं को भारतीय नागरिक बताते हैं। मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, यदि 30 दिनों के भीतर उनके दस्तावेजों की पुष्टि नहीं होती, तो उन्हें देश से निर्वासित कर दिया जाएगा।
इस महीने जारी किए गए निर्देशों में, गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने वैधानिक अधिकारों का उपयोग करके अवैध प्रवासियों की पहचान, जांच और निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। साथ ही, मंत्रालय ने सभी राज्यों को जिला स्तर पर पर्याप्त हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) स्थापित करने के निर्देश दिए हैं, जहां निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने तक संदिग्ध प्रवासियों को रखा जाएगा। यह कदम केंद्र सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने अपने निर्देशों में कहा है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या प्रवासियों का रिकॉर्ड रखना होगा, जिन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और तटरक्षक बल को निर्वासन के लिए सौंपा जाता है। इसके अलावा, हर महीने की 15 तारीख को इस संबंध में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपना अनिवार्य होगा। मंत्रालय ने ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को भी निर्देश दिए हैं कि निर्वासित व्यक्तियों की सूची एक सार्वजनिक पोर्टल पर प्रकाशित की जाए। यह डेटा आधार नंबर, मतदाता पहचान पत्र और पासपोर्ट जारी करने से रोकने के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई), निर्वाचन आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ शेयर किया जाएगा। यदि अवैध प्रवासियों के पास पहले से ही ऐसे दस्तावेज हैं, तो उन्हें निष्क्रिय कर दिया जाएगा और संबंधित लाभ बंद कर दिए जाएंगे।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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