बारिश के रंग

  • Share on :

✍️ गोपल गावंडे

पहली बारिश आई है फिर से,
कहीं खुशियों की बौछार, कहीं दुख के हिस्से।
किसी के लिए मस्ती का मौसम,
तो किसी के लिए बेबसी का आलम।

कोई कहता है – "चलो भीगें ज़रा,
बचपन लौट आए बारिश की फुहारों में भरा।"
तो कोई छुपता है, डरता है हर बूँद से,
क्योंकि टूटी छत है उसके सिर के ऊपर से।

किसी के लिए ये बारिश जश्न बन जाती है,
फोटो, कविताएं, चाय की प्यालियाँ साथ लाती है।
पर किसी की ज़िंदगी भर जाती है कीचड़ से,
जब उसका आशियाना डूबता है पानी के बीच में।

सड़कें बनती हैं तालाब,
ना कोई सुनने वाला, ना कोई जवाब।
बच्चे हँसते हैं पानी में कूदकर,
वहीं किसी मां की आँखें भर आती हैं टपकते छत देखकर।

किसी के खेत में हरियाली छा जाती है,
तो किसी की मेहनत बहकर नाले में चली जाती है।
बारिश सिर्फ मौसम नहीं है,
ये आईना है – हमारी व्यवस्था, हमारी ज़िंदगी, हमारे समाज का।

हर बूँद की अपनी कहानी है,
किसी के लिए वरदान – किसी के लिए बेगानी है।


---

????️
– गोपाल गावंडे
मुख्य संपादक, रणजीत टाइम्स
#बारिश_की_कविता #जनता_की_आवाज़ #RanjeetTimes

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper