चाबहार पर अमेरिकी रुख को देखते हुए भारत अब चल रहा संभलकर

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नई दिल्ली. भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर डील हो गई है। इसके तहत पोर्ट का मैनेजमेंट अगले 10 साल तक संभालेगा। वहीं इस डील के बाद अमेरिका ने चेतावनी दी है कि ईरान के साथ कारोबार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रतिबंध भी लग सकते हैं। इसके साथ ही अमेरिका ने संकेत दिया है कि 2018 में उसने भारत को ईरान से डील पर जो छूटें दी थीं, उन्हें वापस लिया जा सकता है। इसके तहत अमेरिका ने भारत को छूट दी थी कि वह चाबहार पोर्ट को तैयार कर सकता है और अफगानिस्तान तक रेलवे लाइन भी बना सकता है। 
सूत्रों के अनुसार अमेरिकी रुख को देखते हुए भारत अब संभलकर चल रहा है। भारत की कोशिश है कि चाबहार पोर्ट के प्रोजेक्ट में ईरान की ऐसी कोई कंपनी शामिल न हो, जिस पर अमेरिकी पाबंदियां लगी हों। दरअसल ईरान के साथ चाबहार पोर्ट पर हुए 10 साल के करार में इतना वक्त लगने के पीछे यही वजह थी। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत नहीं चाहता कि ऐसे किसी नियम का उल्लंघन हो, जिससे अमेरिकी पाबंदियां लग जाएं। अमेरिका ने जब भारत को इस डील पर राहत दी थी, तब वहां डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी। 
तब अमेरिकी रुख को लेकर माना गया था कि उसने चाबहार पोर्ट में भारत की अहम भूमिका को समझा है। खासतौर पर अफगानिस्तान में अमेरिका और भारत के हितों को देखते हुए यह फैसला लिया गया था। अब अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक वापस लौट गए हैं और क्षेत्र की स्थितियां बदल चुकी हैं। ऐसी स्थिति में भारत भी चाहता है कि चाबहार की डील भी जारी रहे और अमेरिकी प्रतिबंधों का भी उल्लंघन न हो। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 2018 में एक बयान जारी किया था कि हमने लंबे विचार-विमर्श के बाद चाबहार पोर्ट को अपवाद मानते हुए कुछ छूट देने का फैसला लिया है। लेकिन अब अमेरिका के बदले रुख ने भारत को भी अलर्ट मोड में ला दिया है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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