आदिवासी अंचल में दगना कुप्रथा थमने का नहीं ले रही नाम, तीन महीने की मासूम की मौत
शहडोल। शहडोल जिले के आदिवासी अंचल में दगना कुप्रथा थमने का नाम नहीं ले रहा है। संभागीय मुख्यालय से सटे पटासी गांव में रहने वाली तीन महीने की मासूम फिर समुचित इलाज के अभाव में इस कुप्रथा का शिकार हुई। जब तक उसे 10 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल लाया गया, वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
पटासी निवासी रागनी बैगा पिता रामजी बैगा (3 महीने) को निमोनिया की शिकायत के बाद जिला अस्पताल लाया गया। जहां पीकू वार्ड में उसकी मौत हो गई। यह घटना 19 दिसंबर की बताई जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को पूरी तरह से दबा दिया था। मामला उजागर होने के बाद अब पुलिस जांच में जुटी है।
तीन महीने की मासूम को सांस लेने में समस्या आ रही थी। परिजनों ने उसका ठीक तरीके से उपचार नहीं कराया। स्थानीय कुप्रथा को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने बच्ची को किसी गर्म वस्तु से दगवा दिया। मासूम बच्ची के पूरे पेट में दागने के निशान थे। निशान देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे बार-बार दागा गया है।
पिता रामजी बैगा ने बताया कि रागिनी को सांस लेने में समस्या आ रही थी। घर वालों ने उसे दागवा दिया, उसके बाद उसे और झटके आने लगे। आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। डॉक्टर बच्ची को निमोनिया की शिकायत बता रहे हैं।
साभार अमर उजाला