इंदौर में भी तेजी से बढ़ रहे डीपफेक के मामले, कमलनाथ और विजयवर्गीय के वीडियो पर केस दर्ज

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इंदौर। इंदौर में भी डीपफेक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान डीपफेक की सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का वीडियो बनाकर इंटरनेट पर बहुप्रसारित किया गया। इसमें लाड़ली लक्ष्मी योजना बंद करने की बात कही गई थी। कांग्रेस नेता राकेश यादव की शिकायत पर साइबर सेल इसकी जांच में जुटी है। क्राइम ब्रांच में इस फर्जी वीडियो की एफआइआर दर्ज की गई। क्राइम ब्रांच डीसीपी निमिष अग्रवाल ने बताया कि अभी तक बड़े राजनेता और सेलिब्रिटी ही इसके शिकार होते थे लेकिन अब स्थानीय स्तर पर भी डीपफेक का उपयोग बढ़ने लगा है। शहर में अब तक चार एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं।
कनाड़िया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फर्जी वीडियो जारी करने पर एफआइआर दर्ज की है। पुलिस ने सिर्फ इस वीडियो को भेजने वालों का डाटा जुटाया है पर वीडियो कहां बना इसके सबूत नहीं मिल पाए हैं। क्राइम ब्रांच ने भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय का फर्जी वीडियो बनाने पर भी एफआइआर दर्ज की है। कांग्रेस के एक प्रत्याशी का अश्लील वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जारी किया गया, जिसमें उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में भी एफआइआर दर्ज की।
साइबर एसपी जितेंद्रसिंह के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में अब डार्कनेट पर भी फर्जी वीडियो बनाए जा रहे हैं। डार्कनेट पर अभी तक हथियार, मादक पदार्थ और एटीएम-क्रेडिट कार्ड की जानकारी बिक रही थी। एक मिनट लंबे वीडियो के एवज में एक लाख रुपये तक लिए जा रहे हैं। यह काम दो स्तर पर होता है। मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया जाता है। इस टेक्नोलाजी में कोडर और डिकोडर की मदद ली जाती है। डिकोडर उस व्यक्ति के चहरे और हावभाव को परखता है, जिसका वीडियो बनाना है। इसके बाद फर्जी चेहरे पर इसे लगा दिया जाता है।
साभार अमर उजाला

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