इंदौर में बढ़ रही संतान में देरी: डॉ. अस्था जैन, बिरला फ़र्टिलिटी एंड आईवीएफ ने बताया कारण
ब्यूरो चीफ अनिल चौधरी
इंदौर। बिरला फ़र्टिलिटी एंड आईवीएफ, इंदौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ डॉ. अस्था जैन ने कहा कि IVF को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। बहुत से लोग अब भी इसे अंतिम विकल्प मानते हैं या यह सोचते हैं कि इससे जन्म लेने वाले बच्चे अस्वस्थ होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये सब गलत धारणाएँ हैं और IVF आज विज्ञान द्वारा प्रमाणित एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है।
डॉ. जैन ने कहा कि IVF की सफलता दर महिला की उम्र और जीवनशैली पर निर्भर करती है। “एम्ब्रियो को लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा जाता है और 10 साल तक उपयोग में लाया जा सकता है। पहली कोशिश में सफलता 60-70% तक रहती है, और 2-3 प्रयासों में यह 90% तक पहुँच सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इंदौर और आसपास के इलाकों में देर से मातृत्व, पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस और लो ओवेरियन रिज़र्व जैसी समस्याओं के कारण बांझपन के मामले बढ़े हैं। वहीं पुरुषों में धूम्रपान और तनाव प्रमुख कारक हैं।
बिरला फ़र्टिलिटी एंड आईवीएफ, इंदौर में अत्याधुनिक तकनीक और विश्वस्तरीय लैब सुविधाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ, परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहयोग भी उपलब्ध कराया जाता है। यही वजह है कि मरीजों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है और IVF की स्वीकार्यता भी इंदौर और मध्य भारत में तेज़ी से बढ़ रही है।

