देवी अहिल्याबाई होलकर: पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
रंजीत टाइम्स की ओर से
आज, देवी अहिल्याबाई होलकर की पुण्यतिथि के अवसर पर, हम उनके महान व्यक्तित्व और समाज के प्रति उनके योगदान को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 13 अगस्त 1795 को इस धरती से विदा लेने वाली अहिल्याबाई न केवल एक कुशल और न्यायप्रिय शासिका थीं, बल्कि उनकी धर्मनिष्ठा, परोपकारिता और समाज सेवा के कारण वह इतिहास में अमर हो गईं।
कुशल प्रशासन और सामाजिक सुधार की मिसाल
अहिल्याबाई ने अपने पति खंडेराव होलकर की मृत्यु के बाद मालवा की सत्ता संभाली और अपने कुशल प्रशासन से राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने अपने शासनकाल में काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया, जो आज भी उनके अद्वितीय योगदान का प्रतीक हैं।
महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा
अहिल्याबाई ने नारी शक्ति की जो मिसाल पेश की, वह आज भी प्रासंगिक है। उनके कार्य और उनके द्वारा उठाए गए कदम न केवल महिला सशक्तिकरण के प्रतीक थे, बल्कि उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति को भी मजबूत किया।
न्यायप्रियता और जनता के प्रति समर्पण
उनकी न्यायप्रियता और जनसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया। अहिल्याबाई हमेशा अपने राज्य की समस्याओं को अपनी समस्याओं की तरह समझती थीं और उन्हें हल करने के लिए तत्पर रहती थीं। उनके शासनकाल में समाज के हर वर्ग को न्याय और समानता का अनुभव हुआ।
एक अमर धरोहर
अहिल्याबाई होलकर का योगदान केवल उनके शासनकाल तक सीमित नहीं है। उनके द्वारा स्थापित की गई संस्थाएं, मंदिर, और सामाजिक सुधार आज भी उनकी याद दिलाते हैं। उनके कार्य हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची सेवा केवल शासक बनने से नहीं, बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वाह करने से होती है।
रंजीत टाइम्स की ओर से देवी अहिल्याबाई होलकर को शत्-शत् नमन। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उनके महान कार्यों को याद करते हुए समाज की भलाई के लिए प्रेरित होते हैं।