रमजान के बीच नफरत फैलाने वाले मैसेज वायरल: हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव बढ़ाने की साजिश, नेताओं के बीच बयानबाजी

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भोपाल। रमजान के पाक महीने की शुरुआत होते ही सोशल मीडिया पर एक बेहद विवादास्पद और नफरत फैलाने वाले मैसेजों की बाढ़ आ गई है। इन संदेशों में अपील की गई है कि मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के दौरान अपनी खरीददारी केवल मुस्लिम व्यापारियों से करें और हिंदू दुकानदारों से सामान न खरीदें। ये संदेश वायरल होते ही समाज में तनाव बढ़ने का डर पैदा हो गया है।

सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले संदेश:
यह विवादास्पद संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर "तनवीर" नामक एक आईडी से प्रसारित हुआ, जिसमें लिखा गया था कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुस्लिम समुदाय को सिर्फ मुस्लिम व्यापारियों से ही इफ्तार का सामान खरीदना चाहिए। संदेश में यह भी कहा गया था कि किसी भी हिंदू की दुकान से इफ्तार का सामान खरीदने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से नफरत बढ़ सकती है।

इसी प्रकार का दूसरा संदेश इबरार अहमद के नाम से भी वायरल हुआ, जिसमें रमजान की खरीदारी को लेकर इसी तरह की अपील की गई थी कि मुस्लिम समुदाय को अपनी खरीददारी मुस्लिम दुकानदारों से करनी चाहिए ताकि रमजान और ईद खुशी से मनी जाए। संदेश में इस तरह की धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की गई थी, जिससे समाज में तनाव और विभाजन का माहौल पैदा हो।

राजनीतिक बयानबाजी तेज, भाजपा और कांग्रेस में टकराव

इन संदेशों के वायरल होते ही राजनीति में भी तूफान आ गया है। भा.ज.पा. और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
भा.ज.पा. के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि देश का संविधान बाबा साहब आंबेडकर द्वारा बनाया गया था और यह संविधान सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है। उन्होंने कहा, "हिंदू अगर बायकाट कर दें तो स्थिति बहुत खराब हो सकती है। हिंदू किसी को जीने का अधिकार देते हैं, लेकिन अगर उन्हें चुनौती दी गई तो हिंदू अपना बदला लेना जानते हैं।"

वहीं, कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह संदेश पूरी तरह से नफरत फैलाने वालों की साजिश हो सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई निर्णय किसी उलेमा या तंजीम ने नहीं लिया है और यह संदेश समाज में केवल नफरत फैलाने की कोशिश है। मसूद ने कहा कि ऐसे संदेशों का कोई धार्मिक आधार नहीं है और यह समाज को बांटने का प्रयास है।

सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले संदेशों का असर:
इन संदेशों के वायरल होने के बाद से पूरे देश में सोशल मीडिया पर धार्मिक सौहार्द को लेकर बहस शुरू हो गई है। जहां एक ओर कुछ लोग इन संदेशों की निंदा कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे अपने समुदाय की भावनाओं के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इस तरह के भड़काऊ संदेशों के खिलाफ कार्रवाई करने का ऐलान किया है। कई राज्यों में पुलिस ने साइबर सेल को अलर्ट किया है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे संदेशों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की सलाह दी है।

समाज में शांति बनाए रखने की अपील:
विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठन अब इस तरह के संदेशों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि रमजान का महीना और ईद जैसे पर्व शांति, प्यार और भाईचारे का प्रतीक होते हैं, ऐसे में इन संदेशों को फैलाकर समाज में नफरत फैलाना घातक हो सकता है।

अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस विवाद को जल्द सुलझा पाता है और समाज में शांति बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाता है।

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