श्री विष्णुमाया व श्री कृष्ण की शक्तियों का साक्षात्कार करें सहजयोग से
हम सभी जानते हैं कि भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि (कृष्ण पक्ष) के पावन अवसर पर रात्रि १२ बजे श्री कृष्ण जी अवतरित हुए थे। परंतु हम सभी शायद यह भूल जाते हैं कि तभी श्री विष्णुमाया जी कन्या रूप में, यशोदा जी के घर अवतरित हुई थीं। उन्होंने ही कंस को उसकी मृत्यु के बारे में चेताया था। श्री विष्णु जी की बहन विद्युत बन कर आकाश में गरजीं और अधर्म के नाश की घोषणा की। हमारे भारतवर्ष में, भाई- बहन के रिश्ते को बहुत पवित्र माना गया है। एक-दूसरे को गलत पथ पे जाने से रोकना एवं सही कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना बहन- भाई के रिश्ते का अंतर्निहित कर्तव्य है। हमारे सूक्ष्म तंत्र में बहन का स्थान हमारे सर्वाइकल प्लेक्सस (cervical plexus) में बाईं ओर होता है। हमारे कंठ के बाईं ओर श्री विष्णुमाया सभी शक्तियाँ लिए विराजती हैं, हमें गलत पथ पे जाने से सदैव रोकती हैं परंतु हमारे अज्ञान के अंधकार के कारण वह ढक जाती हैं एवं उनके संदेश हम तक नही पहुँच पाते और इसी कारण मनुष्य दोषी भाव महसूस करने लगता है और उसे कारण भी सपष्ट नही होता तो वह इस अंधकार में और डूबता चला जाता है।
परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी द्वारा अभिनिश्चित सहजयोग की सहायता से हम उस अज्ञान के अंधकार को दूर कर परमात्मा की सर्वव्यापी शक्ति से जुड़ सकते हैं। जिसकी सहायता से हमें आत्मज्ञान होता है एवं हमारे अंदर ही छिपी परमात्मा की सभी शक्तियां कार्यन्वित हो जाती हैं और उसी के प्रकाश में क्या सही है क्या गलत है हम वह देख पाते हैं l हम सभी के मूलाधार में स्थित, माँ कुंडलिनी जब सहजयोग द्वारा जागृत होती हैं तब वह हमारी माँ होने के कारण हमारे अंदर के सभी कुसंस्कार को नष्ट कर हमें विवेक प्रदान कर दोषभाव से मुक्त करती है । हम सभी में पवित्रता का वह बीज अंकुरित कर देती है, जो स्वतः उस विवेक की सहायता से पोषित हो एक सुंदर, शील व्यवाहरिक व्यक्तित्व में, परिवर्तित हो जाता है। हमारी दृष्टि स्वतः ही पवित्र हो जाती है एवं हम हर किसी को अपना भाई-बहन मान उनके साथ पवित्र रिश्ते मे बंध जाते हैं।
यदि आप सहजयोग के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं एवं अपने जीवन को सुंदर, सुखमय बनाना चाहते हैं तो कृपया टॉल फ्री नंबर पर 1808 2700 800 पर संपर्क करे।