उत्साह और उल्लास का पर्व : आ गया विश्व प्रसिद्ध है भगोरिया हाट
ढोल मांदल की थाप पर पारंपरिक वेशभूषा में थिरकेंगे लोग
भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोज ने शुरू की थी…
झाबुआ : उत्सव सोनी
सात दिन तक चलने वाला यह मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र झाबुआ धार, मध्य प्रदेश के, खरगोन, अलीराजपुर, जैसे क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। होली के मौके पर आदिवासी बहुल इलाके में लगने वाले भगौरिया पर्व के मौके पर इसका नजारा आज भी देखने को मिलता है।, सामाजिक सद्भाव के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। ये परंपरा कई साल से चली आ रही है और इसका मतलब भी बाकी जगहें के होली के त्योहार मनाने से काफी अलग है।
कैसे हुई थी भगोरिया हाट की शुरुआत...
इतिहासकार डॉ. केके त्रिवेदी के अनुसार लोक संस्कृति के उत्सव भगोरिया का इतिहास करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। झाबुआ जिले के छोटे से गांव भगोर जिसे भृगु ऋषि की तपोस्थली कहा जाता है, वहां से शुरू होकर ये आदिम उल्लास का उत्सव मालवा में रतलाम तक तो निमाड़ में कुक्षी, बड़वानी से लेकर खरगोन तक पहुंच गया। इस तरह से भगोरिया उत्सव का शुभारंभ हुआ।
आदिवासी समाज का प्रमुख त्यौहार हे...
भगोरिया महोत्सव आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। मान्यता है कि भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोज ने शुरू की थी। उस समय दो भील राजा कासूमरा और बालून ने अपनी राजधानी में भगोर मेले का आयोजन किया था। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, इस हाट और मेले को भगोरिया कहने का चलन बन गया।
राजनीतिक दल भी भगोरिए में करते हे शक्ति प्रदर्शन...
आदिवासी अंचल के प्रमुख पर्व को लेकर राजनेता भी पीछे नहीं हे प्रमुख राजनीतिक दल सैकड़ों मांदल के साथ बड़ी बड़ी रेलियां इस भगोरिया हाट में निकालकर शक्ति प्रदर्शन करते हे। जिसमे ज्यादा ढोल होते हे उस नेता का प्रदर्शन बेहतर माना जाता हे। राजनेता इस दौरान लोगों को होली की बधाई भी देते हे और उनके साथ जमकर थिरकते भी हे।
झाबुआ जिले में भगोरिया हाट मेला 07 मार्च से 13 मार्च तक रहेगा, जो कि इस प्रकार है।
07 मार्च शुक्रवार- मसूरिया, भगोर, मांडली, बेकल्दा, कालीदेवी
08 मार्च शनिवार- खवासा, मेघनगर, राणापुर, बामनिया, झकनावदा, रातिमालि, चोखवाड़ा
09 मार्च रविवार- झाबुआ, ढोलियावाड़, रायपुरिया, काकनवानी, आम्बा, चुड़ेली
10 मार्च सोमवार- पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, बेडावा, कुंदनपुर, कल्मोड़ा, ढोचका, आमलिया, रजला
11 मार्च मंगलवार- अंधरवाड़ा, पिटोल, खयंडू, थांदला, तारखेड़ी, बरवेट
12 मार्च बुधवार- कल्याणपुरा, कंजवानी, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोडायता, मदरानी, ढेकल
13 मार्च गुरुवार- पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई, चैनपुरा