इंदौर में वन विज्ञान केंद्र का शुभारंभ

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प्रदीप मिश्रा, आईएफएस वनमंडलाधिकारी, इंदौर
वानिकी विज्ञान को किसानों और बाजार से जोड़ने की पहल
लोगों तक वानिकी विज्ञान पहुँचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इंदौर में वन विज्ञान केंद्र (VVK) का उद्घाटन भारत की वानिकी विस्तार प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस केंद्र का उद्देश्य वैज्ञानिक शोध को सीधे किसानों और बाजार से जोड़ना है, ताकि आजीविका, संरक्षण और जलवायु अनुकूलन को एक साथ बढ़ावा दिया जा सके।
 यह केंद्र सोशल फॉरेस्ट्री कार्यालय, मालवा डेमो नर्सरी परिसर, इंदौर में स्थापित किया गया है। इसे (ICFRE) के मार्गदर्शन में तथा , जबलपुर के तकनीकी सहयोग से, इंदौर वन मंडल के सहयोग से स्थापित किया गया है।
भारत के बढ़ते वन विज्ञान केंद्र नेटवर्क में इंदौर की भागीदारी
वर्ष 2010 से अब तक ICFRE द्वारा देशभर में 42 वन विज्ञान केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं, ताकि वानिकी अनुसंधान किसानों, वन आश्रित समुदायों और स्व-सहायता समूहों तक व्यावहारिक रूप में पहुँच सके। इंदौर का यह केंद्र मध्य प्रदेश का सातवाँ वन विज्ञान केंद्र है, जिसे मालवा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है, जहाँ कृषि और वन आधारित आजीविका का गहरा संबंध है।
नर्सरी से खेत तक: बड़गोंदा नर्सरी बनेगी किसानों के लिए प्रदर्शन केंद्र
इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बड़गोंदा नर्सरी, महू (इंदौर) में एक फील्ड डेमोंस्ट्रेशन एवं सप्लाई सेंटर की स्थापना है। यहाँ से किसानों को उच्च उत्पादन देने वाले, तेजी से बढ़ने वाले पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे, जो स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल और बाजार की मांग के अनुसार होंगे।
 किसानों को खेत में विभिन्न प्रजातियों का प्रदर्शन देखने का अवसर मिलेगा, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकें और जोखिम कम हो।
बेहतर खेत और वन परिणामों के लिए आधुनिक वानिकी तकनीकें
वन विज्ञान केंद्र के माध्यम से जल-संरक्षण आधारित वानिकी, एग्रोफॉरेस्ट्री, चारकोल उत्पादन, मशरूम उत्पादन, औषधीय पौधों का सतत दोहन, तथा गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री एवं क्लोन पौधों का उत्पादन जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।
 विशेष रूप से लाख और बाँस के मूल्य संवर्धन पर जोर दिया जाएगा, ताकि किसान और स्व-सहायता समूह कच्चे माल के बजाय प्रसंस्कृत उत्पाद बेचकर अधिक आय अर्जित कर सकें।
किसानों और बाजार के बीच की दूरी को पाटने की पहल
यह स्वीकार करते हुए कि केवल उत्पादन बढ़ाना पर्याप्त नहीं है, वन विभाग द्वारा किसानों और बाजार को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। निजी क्षेत्र और संस्थागत खरीदारों के साथ संरचित संवाद के माध्यम से उत्पादन और बाजार के बीच की दूरी कम की जाएगी, जिससे वन आधारित आजीविका अधिक स्थिर और लाभकारी बन सके।
आय बढ़े, वन भी सुरक्षित रहें
केंद्र द्वारा लघु वनोपज जैसे अर्जुन की छाल, तेंदू पत्ता, चार चिरौंजी, पलाश, सतावर, सफेद मुसली तथा अन्य औषधीय पौधों के सतत संग्रह और खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे आय में वृद्धि के साथ-साथ वन संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी।
इंदौर उद्घाटन कार्यक्रम में कौन-कौन होंगे शामिल
उद्घाटन कार्यक्रम 30 तारीख को सोशल फॉरेस्ट्री कार्यालय, मालवा डेमो नर्सरी परिसर, इंदौर में आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर ICFRE और TFRI जबलपुर के वरिष्ठ अधिकारी, मध्य प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त वन अधिकारी, विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापक, पर्यावरणविद्, गैर-सरकारी संगठन, विभिन्न विभागों के अधिकारी, किसान, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ तथा उद्योग एवं व्यापार जगत के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।
एक ऐसा मॉडल जिसे पूरे देश में दोहराया जा सकता है
विज्ञान आधारित और बाजार से जुड़ा वानिकी मॉडल अपनाकर, वन विज्ञान केंद्र, इंदौर यह दर्शाता है कि किस प्रकार अनुसंधान संस्थान और फील्ड एजेंसियाँ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने वाले, टिकाऊ और प्रभावी समाधान विकसित कर सकती हैं।
प्रदीप मिश्रा, आईएफएस
वनमंडलाधिकारी, इंदौर

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