सहजयोग से पाएं दैहिक, दैविक व भौतिक संतापों से मुक्ति
भारतीय दर्शनशास्त्र समूचे विश्व में आध्यात्मिक ज्ञान के लिये -प्रसिद्ध है। प्राचीन काल से अनेक देशों के विद्वान भारत में पहुँचे और इस योग भूमि में आकर उन्होंने अध्यात्मिकता की जड़ें खोज निकाली। उस अध्यात्मिकता का सार है आत्मतत्व। हम सभी एक ही चेतनतत्व से बने हैं। परम-पूज्य श्रीमाताजी प्रणित सहजयोग हमें हमारे चेतनतत्व से ,आत्मतत्व से, ही परिचित कराता है। सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्त साधक इस ज्ञान को अपने मज्जा तंतू पर जानता है। प. पू. श्रीमाताजी कहते हैं, आत्मानुभूति एक सुंदर अवस्था है। जब आपको आत्मबोध हो जाता है, तो आपका पूरा तन, मन, सबकुछ एकीकृत हो जाता है और इसके बाद आप जो कुछ भी करते है, वह आनंद प्रवाहित करता है। इसलिये जब आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति लिखता है तो वह चैतन्यरूपी आनंद उसकी लेखनी में आता है, मूर्ति बनाता है तो वह मूर्ति चैतन्यित हो जाती है,अगर वह बीज बोता है तो है उसकी खेती की सारी फसल चैतन्य से आंदोलित होती हैं । अब यह सब बहुत विलक्षण है। यह एक मात्र चीज है, जिसे आपको हासिल करना है, बेकार के चमत्कारों की ओर आकर्षित न हों। अपने आत्मा के चमत्कारों को माँगे । जब आत्मा की अभिव्यक्ति होती है तब आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे कि आप कितना सुंदर महसूस करते हैं, और कितनी सुंदरता से आप इसे कार्यान्वित करते हैं।
हमारे सारे उपनिषद् इस आत्म तत्व का ही चितंन और मनन करते हैं। इसे सहजयोग ध्यान की अनुभूति से जाना जा सकता है। उपनिषद्कार कहते हैं, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' अर्थात, इस पृथ्वीतल पर विराजमान सभी मानव सुखी, निरामय और आनंदपूर्ण बनें। उनके तीनों तापों की अर्थात्, अधिदैविक ,अध्यात्मिक और अधिभौतिक तापों की निवृत्ति हो जाये ,और वे दु:ख के भागीदार न बने।
सहजयोग में जब साधक को आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है तब वह साधक आदिशक्ति स्वरुपिणी माँ कुंडलिनी के प्रकाश में अपने आपको जानने लगता है। नियमित ध्यान से यह शक्ति उसके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पीड़ा का शमन करती है। आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति को सभी प्रकार की आपदाओं से भी बचाया जाता है, दिनों-दिन उसका चित्त आत्मसाक्षात्कार के आनंद मे तल्लीन होकर वह बहुत गुणात्मक और उच्च कोटि का आध्यात्मक जीवन व्यतीत करता है। आपको भी अगर इस आनंद का एक भाग बनना है ,तो आज ही सीखें सहजयोग ध्यान ।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in.