संकट नाशिनी, शत्रु विनाशिनी, स्तंभन शक्ति की देवी की महिमा

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मां बगलामुखी जयंती पर विस्तृत लेख

भूमिका

हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष महत्व है, जिनमें मां बगलामुखी आठवीं महाविद्या के रूप में जानी जाती हैं। इन्हें "पीताम्बरा", "स्तंभन शक्ति", और "वाणी की अधिष्ठात्री" देवी के रूप में पूजा जाता है। मां बगलामुखी की जयंती वैशाख शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन साधकों के लिए अत्यंत शुभ और सिद्धिदायक होता है। यह तिथि विशेष रूप से तंत्र साधना, न्यायिक मामलों में विजय और दुश्मनों के प्रभाव से मुक्ति के लिए पूजनीय है।

मां बगलामुखी का स्वरूप और महत्व

मां बगलामुखी का रंग पीला होता है, इसलिए इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। देवी एक हाथ में शत्रु की जीभ पकड़ती हैं और दूसरे हाथ से गदा से उसे परास्त करती हैं। यह प्रतीक है वाणी पर नियंत्रण, दुश्मन के षड्यंत्र का अंत और मन की स्थिरता का।

मां बगलामुखी की साधना से:

शत्रुओं का नाश होता है

मुकदमों में विजय प्राप्त होती है

तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं

वाणी और बुद्धि में नियंत्रण आता है

 

जयंती का महत्व और साधना विधि

जयंती तिथि:
हर वर्ष वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। यह तिथि वर्ष 2025 में 6 मई को आ रही है।

इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:

1. पीले वस्त्र धारण करें, पीला आसन बिछाएं

2. मां की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें

3. हल्दी से तिलक करें, पीले फूल चढ़ाएं

4. “ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः” इस मंत्र का जाप हल्दी की माला से करें (कम से कम 108 बार)

5. विशेष रूप से त्रिपुर सिद्धांत अनुसार हवन भी किया जाता है

6. पीले व्यंजनों का भोग लगाएं (बेसन लड्डू, केसरी हलवा, आम)

 

महत्वपूर्ण शक्तिपीठ (मंदिर)

मां बगलामुखी के कई प्रमुख शक्तिपीठ भारत भर में प्रसिद्ध हैं, विशेष रूप से:

1. पीताम्बरा पीठ, दतिया (मध्य प्रदेश)

यह भारत का सबसे प्रसिद्ध बगलामुखी शक्तिपीठ है।

यहाँ पर वकील, राजनेता, अधिकारी, तांत्रिक साधक और आम भक्त विशेष रूप से न्याय एवं विजय की कामना से दर्शन हेतु आते हैं।

मान्यता है कि यहां की साधना तुरंत फलदायक होती है।

 

2. नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर, जिला आगर (म.प्र.)

यह स्थल भी अत्यंत प्राचीन और चमत्कारी माना जाता है।

यहां की जयंती पर विशेष रात्रि साधना, हवन और भंडारे का आयोजन होता है।


3. बंजारावाला मंदिर, देहरादून (उत्तराखंड)

उत्तर भारत में विशेष मान्यता वाला यह मंदिर तांत्रिक साधना का केंद्र है।


4. बगलामुखी शक्तिपीठ, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

हिमालय क्षेत्र में स्थित यह पीठ पर्वतीय तंत्र-साधकों के लिए महत्वपूर्ण है।


5. रांची कांके बगलामुखी मंदिर (झारखंड)

झारखंड राज्य का प्रमुख शक्तिपीठ, जहां विशेष रूप से बुधवार और जयंती को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

तांत्रिक दृष्टिकोण से विशेष दिन

यह दिन ‘स्तंभन शक्ति’ को जागृत करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

किसी भी प्रकार की बाधा, मुकदमे, शत्रु बाधा, वाणी व वाद-विवाद से ग्रस्त व्यक्ति इस दिन पूजा करे तो चमत्कारी लाभ मिलते हैं।

तंत्र साधकों के लिए यह दिन सिद्धि प्राप्ति का अवसर होता है।

 

सामाजिक व आत्मिक संदेश

मां बगलामुखी केवल शत्रु विनाश की देवी नहीं हैं, बल्कि हमारे अहंकार, क्रोध, लोभ, और मन की चंचलता को नियंत्रित करने की प्रतीक भी हैं। उनकी पूजा हमें आत्मबल, धैर्य और न्याय के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है।

 

निष्कर्ष

मां बगलामुखी की जयंती केवल एक धार्मिक तिथि नहीं है, यह एक संकल्प दिवस है। इस दिन अगर श्रद्धा और नियम से साधना की जाए, तो जीवन के अनेक संकटों का निवारण संभव है।
मां की साधना से न केवल बाहरी दुश्मनों पर विजय मिलती है, बल्कि मन के विकारों और भ्रम पर भी नियंत्रण संभव होता है।

आप सभी को मां बगलामुखी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!
ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः

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