आनंद कस्तूरी के समान हृदय में होता है यह बाह्य में प्राप्त नहीं हो सकता : श्री माताजी
आपने कस्तूरीमृग की कहानी सुनी होगी । कस्तूरीमृग की नाभि में कस्तूरी होती है, जिसकी सुगंध बड़ी ही मनमोहक होती है ।उस मनभावन सुगंध की चाह में मृग पूरे जंगल की दौड़ लगाता है, थक जाता है परंतु उसे उस सुगंध का पता नहीं चलता। हम और आप सभी उसी कस्तूरीमृग की भांति हैं, जो अपनी सुगंध, अपने जीवन का आनंद संपत्ति, पद, प्रतिष्ठा, घर-कारोबार में ढूंढते हैं । ये सारी चीजें पाने की चाह में सारा जीवन निकल जाता है,परंतु आनंद नहीं मिलता।
परमपूज्य श्री माताजी श्री निर्मलादेवी कहते हैं कि, आपकी कस्तूरी तो आपके हृदय में छुपी होती है । और सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के बाद इस कस्तूरी का साक्षात् संभव हो जाता है। परंतु ये आप तभी प्राप्त कर सकते हैं जब आप पर श्री गणेश प्रसन्न होते हैं, क्यों कि श्री गणेश पृथ्वीतत्व के स्वामी हैं और उन्हें पाने के लिए आपको ध्यान करना होगा। पर ध्यान कैसे करें?
श्री माताजी कहते हैं, पहले अपने को प्रेम से भर लो । आप जानते हैं मैं आपकी मॉं हूं और मॉं होने का मतलब है संपूर्ण संरक्षण। कोई भी चीज गड़बड़ नहीं होनेवाली । आप मेरी ओर हाथ करिये । धीरे-धीरे आँख बंद करके अपने विचारों की ओर देखिये, आप निर्विचार हो जायेंगे ।
श्री माताजी कहते हैं, पहले अपने को इतना बता दो कि आज से किसी को कोई सी भी चोट मैं नहीं पहुंचाऊंगा और उन सब को प्रभु आप क्षमा कर दो, जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई हो । और मुझे भी क्षमा करो क्योंकि मैने दुनिया में बहुत लोगो को जाने अनजाने में चोट दी है ।
आप जो कहेंगे वही परमात्मा आपके साथ करेगा । आप उससे कहोगे कि ‘ प्रभु शान्ति दो, तो वो तुम्हे शान्ति देगा । आप अगर उन्हे मांगते हो की , प्रभु मुझे संतोष दो, मेरे अंदर सुंदर चरित्र दो, तो वो तुम्हें ये सारी शक्तियॉं देंगे ।
आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के बाद आपका उस चैतन्य शक्ति से मिलन हो गया । अब आपकी प्रार्थना अर्थपूर्ण हो जाती है, आप अपने-आपसे खुश रहने लगते हैं, आप अपने आप में प्रसन्नता का, संतोष का,समाधान का अनुभव करने लगते हैं । दैनिक जीवन में कभी आप असंतुलित भी होते हैं तो आत्मपरीक्षण से जान जाते हैं कि, मैंने कहॉं गलती की तथा आप उसे सुधारने का पूर्ण प्रयास करते हैं । ध्यान से प्राप्त आनंद को आप बॉंटना चाहते हैं । आप अपनी क्षमता को पूर्णत: विकसित करने के लिए प्रयासरत हो जाते हैं । अतः चिर आनंद की कस्तूरी रूपी सुगंध को पाने हेतु सहजयोग अपनाएं। सहजयोग पूर्णतया निशुल्क है
सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त की जा सकती है।