सुनी - सुनाई : विधायक मैडम ने कहा- कांग्रेसियों को बाहर करो
मंत्री बोलीं- मुझे जिले से हटवा दीजिए, सांसद के चचेरे भाई ने दरोगा जी को धमकाया
रणजीत टाइम्स : उत्सव सोनी
एमपी में इन दिनों तबादलों का मौसम है। ट्रांसफर के इस मौसम में एक महिला मंत्री के खिलाफ उनके प्रभार के जिले में संगठन लामबंद हो गया है।
दरअसल, तबादलों के लिए जो नाम संगठन की ओर से दिए गए थे। मंत्री ने उनके बजाय एक सजातीय पूर्व विधायक की लिस्ट पर मुहर लगवा दी।
मंत्री मैडम पर आरोप हैं कि वह अपने प्रभार के जिले की अध्यक्ष से लेकर संगठन के पदाधिकारियों के फोन तक नहीं उठाती। बंगले पर घंटों इंतजार के बाद मिलती तक नहीं।
संगठन के पदाधिकारियों ने प्रदेश नेतृत्व से शिकायत की है। पदाधिकारियों को जवाब मिला कि मंत्री जी कह रहीं हैं मुझे जिले से हटवा दो। मैडम पर जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं।
विधायक मैडम बोलीं- कांग्रेसियों को बाहर करो
पचमढ़ी में सत्ताधारी दल के ट्रेनिंग कैंप में नेताओं के बीच समन्वय का मुद्दा उठा। मंत्रियों, विधायकों के बीच तालमेल को लेकर बात हुई।
इस दौरान महिला जनप्रतिनिधियों का एक समूह प्रशिक्षण स्थल से बाहर आया। वे आपस में चर्चा कर रहीं थी। तभी विंध्य क्षेत्र की एक महिला विधायक ने कहा- जो लोग कांग्रेस से आए हैं, उनके कारण पूरा समन्वय बिगड़ा हुआ है। उन्हें बाहर कर दो सब समन्वय बन जाएगा।
विधायक ने कहा- आदिवासी भी लकड़ी उठाएंगे राजधानी से सटे पड़ोसी जिले में विरोधी दल के एक विधायक ने प्रशासनिक अधिकारियों को फोन पर जमकर फटकारा। विधायक को खबर लगी थी कि उनके इलाके में आदिवासियों को सरकारी कर्मचारियों ने पीटा है।
विधायक मौके पर पहुंचे और आदिवासियों से मिले। फिर कार्रवाई करने वाले अफसरों को फोन लगाया। विरोधी दल के युवा विधायक ने साफ कह दिया कि आदिवासी भाई को लकड़ी से मारने का अधिकार आपको किसने दिया? अगर मेरे क्षेत्र में किसी आदिवासी को लकड़ी से मारा तो आदिवासी भी लकड़ी उठाएंगे।
मंत्री और सांसद के बीच फोटो का झगड़ा जारी
रुलिंग पार्टी के एक मंत्री और सांसद के बीच फोटो की लड़ाई खत्म ही नहीं हो रही है। सजातीय नेताओं के बीच अब तक खुद को बड़ा नेता बताने की लड़ाई लोकल लेवल पर चल रही थी। लेकिन, इस बार झगड़ा सरकार के सामने आ गया।
हुआ यूं कि ट्रेनिंग कैम्प के बाद 'सरकार' जिस नगर में रोड शो करने पहुंचे, वहां बैनर-पोस्टर्स से सांसद जी की तस्वीर नदारद थी। चारों तरफ बस मंत्री जी की तस्वीरें छाई थीं। यही नहीं 'सरकार' के साथ रथ पर सांसद जी, जिला अध्यक्ष के पीछे खड़े दिखाई दिए।
मंत्री जी और विधायक जी ने ली पहली ट्रेनिंग
सतपुड़ा की रानी की गोद में एमपी-एमएलए के ट्रेनिंग कैंप में एक कबीना मंत्री और एमएलए मैडम ने साथ में क्लास अटेंड की। तीन दिन के कैंप में मंत्री जी और विधायक मैडम ज्यादातर समय एक ही गाड़ी से आए और गए।
मंत्री जी भले ही सीनियर लीडर हैं लेकिन, पार्टी में विधायक के नाते पहले प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हुए हैं। एमएलए मैडम भी पहली बार की विधायक हैं। इस नाते दोनों के लिए यह ट्रेनिंग पॉलिटिकल करियर में पहला अनुभव था।
जवाबी हमले की तैयारी में छोटे राजा
विरोधी दल से बाहर होने के बाद छोटे राजा फिलहाल साइलेंट हैं। अंदरखाने की खबर है कि वह अब बड़े हमले की तैयारी कर रहे हैं। वे पैरेलल कैडर खड़ा करने की प्लानिंग कर रहे हैं।
हालांकि, उनका ये प्लान जमीन पर कितनी उतरेगा ये तो भविष्य बताएगा। लेकिन, इतना तय है कि छोटे राजा के जवाबी हमले से उनके अपनों का घायल होना तय है। फैसला भले ही दिल्ली दरबार से हुआ हो, लेकिन छोटे राजा मानते हैं कि इसके पीछे उनके अपने ही हैं।
विधायक ने कहा- आदिवासी भी लकड़ी उठाएंगे राजधानी से सटे पड़ोसी जिले में विरोधी दल के एक विधायक ने प्रशासनिक अधिकारियों को फोन पर जमकर फटकारा। विधायक को खबर लगी थी कि उनके इलाके में आदिवासियों को सरकारी कर्मचारियों ने पीटा है।
विधायक मौके पर पहुंचे और आदिवासियों से मिले। फिर कार्रवाई करने वाले अफसरों को फोन लगाया। विरोधी दल के युवा विधायक ने साफ कह दिया कि आदिवासी भाई को लकड़ी से मारने का अधिकार आपको किसने दिया? अगर मेरे क्षेत्र में किसी आदिवासी को लकड़ी से मारा तो आदिवासी भी लकड़ी उठाएंगे।
सांसद के बड़े भाई दरोगा जी से उलझे
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए एक नेता जी बुंदेलखंड क्षेत्र से सांसद हैं। सांसद जी के समाज के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस से उनके चचेरे भाई उलझ गए।
दरोगा जी को सांसद जी के चचेरे भाई धमकी देते नजर आए। यही नहीं वे अपने ही भाई को भी अपशब्द कहते हुए दिखाई दिए। ये बड़े भैया ओबीसी आंदोलन का हिस्सा रहे हैं और पहले भी ऐसे विवादित बयान दे चुके हैं।
सांसद जी राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लोग कह रहे हैं कि बड़े भैया के दिमाग में अभी भी राजशाही भरी हुई है। वे अपने सांसद भाई को भी कुछ नहीं समझते।
और अंत में..
जिसको निलंबन से बचाया, उसने कराई फजीहत स्कूल शिक्षा विभाग में मंत्री की निलंबन नोटशीट को रुकवाने में कामयाब रहे संचालक स्तर के एक अधिकारी ने फिर विभाग की फजीहत करा दी है। इस अधिकारी की लापरवाही के चलते स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों के तबादले 16 जून तक की समय सीमा में नहीं कर सका।
हालांकि, विभाग के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी इसे मानने को तैयार नहीं हैं। वे यह कह रहे हैं कि जितने तबादले होने थे, वह हो गए हैं। यह अलग बात है कि तबादला सूची अभी तक शिक्षकों को पर्सनल और ऑनलाइन दोनों ही माध्यम से नहीं मिली है। विभाग अब इनकी चूक को संभालने की जुगत में जुटा है।