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भारत से हार का मुनीर को मिला इनाम, बन गए पाकिस्तान के फील्ड मार्शल

प्रवेश सिंह
विशेष रिपोर्ट
भारत के ऑपरेशन सिंदूर का सामना करने में विफल रहे पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को शहबाज सरकार की ओर से इनाम मिला है। दुनिया भर में अपनी किरकिरी कराने वाले असीम को पाकिस्तान ने फील्ड मार्शल बनाया है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर को भारतीय सेन से मिली शिकस्त का इनाम दिया गया है। पाकिस्तान की संघीय सरकार ने मंगलवार को सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया। भारत से हार का मुनीर को मिला इनाम, बन गए पाकिस्तान के फील्ड मार्शल
शहबाज सरकार को डर था कि कहीं आसिम मुनीर देश में तख्तापलट कर सैन्य शासन न लगा दे।
यह निर्णय प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में संघीय कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संघीय कैबिनेट को उन पर विश्वास करने के लिए धन्यवाद दिया।भारत से हार का मुनीर को मिला इनाम, बन गए पाकिस्तान के फील्ड मार्शल
यह वही पाकिस्तान सेना प्रमुख मुनीर है जो लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है।
भारतीय सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर को रोकने में असीम मुनीर पूरी तरह से विफल रहे थे। अपनी हार को छिपाने के लिए मुनीर ने भारत के खिलाफ जमकर झूठ फैलाया था। मुनीर के झूठे प्रोपेगेंडा से खुश होकर पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें तोहफे के तौर पर ये पद दिया है।
असीम मुनीर पाकिस्तान सेना में इस पद तक पहुंचने वाले दूसरे सेना प्रमुख हैं।
पाकिस्तान के इतिहास में आसिम मुनीर से पहले 1959 में अयूब खान को फील्ड मार्शल बनाया गया था।
पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड रहा मुनीर
14 फरवरी, 2019 को जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर पुलवामा के पास सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले का असली मास्टरमांइड असीम मुनीर को माना जाता है। भारत से नफरत और क्रूर साजिशें रचने में माहिर मुनीर आतंकियों को पालने के लिए कुख्यात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और मिलिट्री इंटेलिजेंस दोनों के प्रमुख रह चुके हैं।
असीम मुनीर के नेतृत्व वाली सैन्य प्रतिष्ठान को खुली छूट मिलने की उम्मीद थी, जिसने पहले ही पाकिस्तान में लोकतंत्र को दबा दिया है।
कितना अहम होता है फील्ड मार्शल का पद
फील्ड मार्शल का रैंक जनरल के पद से ऊपर होती है।
फील्ड मार्शल के यूनिफॉर्म पर पांच सितारे लगे होते है।
इसे युद्ध असाधारण सैन्य उपलब्धियों या विशेष परिस्थिति में प्रदान किया जाता है।
कितना पावरफुल है ये पद
फील्ड मार्शल को आजीवन सैन्य अधिकारी माना जाता है।
वह मृत्यु तक इस रैंक के सम्मान और सुविधाओं के हकदार रहते हैं और सेना से आजीवन वेतन और भत्ता लेते हैं।
मुनीर, साल 2027 तक पाकिस्तान का आर्मी चीफ बना रहेगा।
पाकिस्तान में मुनीर की ताकत कितनी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने शुरू में ही अपना कार्यकाल तीन की बजाए पांच साल तक के लिए बढ़वा लिया था।
जनरल मुनीर को हर महीने लगभग 2.5 लाख पाकिस्तानी रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं, जो भारतीय रुपये में करीब ₹75,000 होता है।
मुनीर का एहसान चुका रही शहबाज सरकार
एक तरफ जहां पाकिस्तान की आम जनता की मांग है कि आसिम मुनीर को सेना पद से हटाया जाए। वहीं, दूसरी ओर शहबाज सरकार ने उसे ये तोहफा देकर दिखाया कि सरकार मुनीर के साथ खड़ी है।
शहबाज सरकार को डर था कि कहीं आसिम मुनीर देश में तख्तापलट कर सैन्य शासन न लगा दे।
आसिम मुनीर की मेहरबानी का शहबाज सरकार कर्ज उतार रही है। बता दें कि पाकिस्तान आम चुनाव में पाकिस्तानी सेना ने शहबाज सरकार को सत्ता पर बैठाया था।
*भारत में फील्ड मार्शल
-भारतीय सेना में फील्ड मार्शल (Field Marshal) सर्वोच्च रैंक है।* यह रैंक विशिष्ट सेवा और राष्ट्र के प्रति असाधारण योगदान देने वाले अधिकारी को दी जाती है। यह एक औपचारिक पद है और फील्ड -मार्शल आखिरी सांस तक सेवारत अधिकारी माने जाते हैं और उनको जनरल के बराबर सैलरी मिलती रहती है।
-फील्ड मार्शल को भी सेना के अन्य उच्च अधिकारियों के तहत ही सुविधाएं मिलती हैं, जिसमें- घर, पेंशन, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल जैसी सुविधाएं शामिल होती हैं।
-भारत में फील्ड मार्शल रैंक का सम्मान केवल दो लोगों को प्रदान किया गया है।
-पहली बार 1973 में सैम मानेकशॉ को यह सम्मान दिया गया था। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
-दूसरी बार 1986 में के.एम. करियप्पा को रिटायरमेंट के बाद यह सम्मान दिया गया था।
फील्ड मार्शल का रैंक सामान्य रूप से जनरल के पद से ऊपर होती है। फील्ड मार्शल के यूनिफॉर्म पर पांच सितारे लगे होते है। इसे युद्ध असाधारण सैन्य उपलब्धियों या विशेष परिस्थिति में प्रदान किया जाता है। भारत, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, पाकिस्तान सहित कई देशों में प्रसिद्ध है।

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