''अब और नहीं सहा जाता दर्द..!'' सारी सम्पत्तियां स्कूल के होनहार गरीब बच्चों को दान कर इंदौर की शिक्षिका ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु
''मैं आत्महत्या नहीं करूंगी... क्योंकि मैं खुद अपने छात्रों को साहस के साथ जीना सीखाती आई हूं... लेकिन मेरा शरीर अब साथ नहीं दे रहा... मैं हर दिन असहनीय दर्द से गुजर रही हूं... मैं चाहती हूं कि मुझे इच्छा मृत्यु दी जाए, ताकि मेरे शरीर के अंग किसी और के काम आ सकें, उन्हें नया जीवन मिल सके...''
यह पत्र इंदौर के जबरन कॉलोनी की सरकारी मिडिल स्कूल में व्हीलचेयर पर बैठकर बच्चों को पढ़ाने वाली 52 वर्षीय शिक्षिका चंद्रकांता जेठवानी ने राष्ट्रपति के नाम लिखा है... दरअसल, उनका वर्ष 2020 में हड्डी का एक गलत इलाज हुआ था, जिसके चलते उनके शरीर के निचले हिस्से में लकवा मार गया... बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को पढ़ाना जारी रखा... वे अब भी व्हीलचेयर पर बैठकर सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को पढ़ाती हैं... वे छात्रों को ना सिर्फ किताबी ज्ञान देती हैं, बल्कि खुद अपना उदाहरण देकर छात्रों को साहस और हिम्मत से हर परिस्थिति का सामना करने को भी कहती हैं... इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी सारी सम्पत्तियों को भी इस सरकारी स्कूल के होनहार और गरीब 6 बच्चों में बांट दिया, ताकि उनकी आगे की शिक्षा में ''आर्थिक समस्या'' आड़े ना आए... शिक्षिका चंद्रकांता जेठवानी ने अपने अंगों को एमजीएम मेडिकल कॉलेज को दान करने का भी वादा किया... वे चाहती हैं कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनके अंग किसी के शरीर में रोशनी लाएं... आए दिन कुछ सरकारी शिक्षकों शराब पीने से लेकर, अन्य लापरवाहियों की खबरें लगभग रोज ही सुर्खियों में रहती हैं, तो दूसरी तरफ इंदौर की यह शिक्षिका हर दिन लगभग 8 घंटे के असहनीय दर्द से कराहने के बावजूद बच्चों को पढ़ाने सरकारी स्कूल पहुंच रही हैं... शिक्षिका चंद्रकांता जेठवानी उन लोगों, खासकर युवा पीढ़ी के लिए भी बड़ी सीख हैं जो समस्या का सामना करने की बजाय अपनी जीवनलीला समाप्त करने जैसा कदम उठाते हैं..! ''सलाम है मैडम आपको!''