मोहन यादव कैबिनेट फेरबदल करते हैं तो मालवा को नया मंत्री इंदौर जिले से या देवास जिले से मिल सकता है
हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है
चर्चा यह है कि मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट में हाल ही में सिंदूर ऑपरेशन के दौरान कुछ मंत्री बड बोलेपन के कारण सोशल मीडिया पर चलने वाली हर डिबेट में विपक्षियों का निशाने रहते हैं। संघ की भी इन नेताओं पर निगाह बनी हुई है हो सकता है आने वाले समय में कैबिनेट में मंत्रियों को घर वापसी कर दी जाए या उनके पद काम करते हुए राज्य स्तर का कोई मंत्री पद दे दिया जाए सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ मालवा जिसमें इंदौर देवास उज्जैन रतलाम जिला शामिल है। उज्जैन से मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं आते हैं इसलिए उज्जैन जिले से किसी के मंत्री बनने की संभावना बहुत कम है इंदौर जिले से तुलसी सिलावट एवं कैलाश विजयवर्गी पूर्व से ही कद्दावर पद पर बने हुए हैं। यहां के महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी किसी मंत्री से कम नहीं है । इतनी बड़ी आबादी का नेतृत्व कर रहे हैं अब निगाह टिकती है । रतलाम जिले से चैतन्य काश्यप आते जरूर है मोहन यादव की टीम में लेकिन उनका कद बड़ा नहीं है ।देवास जिले पर देवास जिले में आशीष शर्मा लगातार तीसरी बार जीतकर संगठन की निगाह में स्वच्छ छवि वाले नेता बने हैं बागली विधायक मुरली भंवरा भी पहले ही कार्यकाल में शिक्षा बोर्ड समिति में शामिल कर लिए गए हैं देवास की बात आती है तो राज परिवार कुछ वर्ष पर कानूनी उलझन में उलझ गया था तभी से संगठन भी नहीं चाहता उन्हें कोई ऊंचा पद देना पहले हरदा से कमल पटेल उज्जैन से पारस जैन मोहन यादव इंदौर से तुलसी सिलावट सुमित्रा महाजन उषा ठाकुर देवास जिले से तुकोजी राव पवांर दीपक जोशी रतलाम जिला क्षेत्र से भी मंत्री पद मिल चुके हैं। ऐसी स्थिति में मालवा का संगठन जिसे वर्तमान में स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर अपनी बेहतर उपस्थिति और शक्ति संगठन के माध्यम से वर्तमान सरकार और विपक्ष को दिखा दी है। निगम मंडल भी अभी खाली पड़े हुए हैं वहां भी इन्हीं जिलों से नियुक्ति होना तई है। इस बार भी कैबिनेट में मालवा की भागीदारी नहीं हो पाई तो भारतीय जनता पार्टी को नेताओं की अपेक्षा करना महंगा पड़ सकता है। पूर्व में पर्यटन मंत्री के रूप में उषा ठाकुर एवं तुकोजीरा पवार वहीं शिक्षा मंत्री के पद पर दीपक जोशी तथा पारस जैन कैबिनेट पद पर रहकर मालवा क्षेत्र का नेतृत्व करता है। मध्य प्रदेश की 30 विधानसभा सीटों पर मालवा क्षेत्र का प्रभाव है और वोट बैंक भी मजबूत है। ऐसी स्थिति में मालवा का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो गया है भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस हमेशा से अनदेखी करती रही मालवा क्षेत्र की तभी उसे अभी तक नुकसान उठाना पड़ रहा है सिर्फ सज्जन वर्मा एवं तुलसीराम सिलावट को ही पूर्व में आगे लाया गया था। उसके बाद किसी भी मामले में कांग्रेस ने मालवा क्षेत्र से कोई प्रतिनिधित्व नहीं भेजा राज्यसभा में मौका आया था लेकिन उन्होंने दिग्विजय सिंह को ही रिपीट करके बहुत बड़ी गलती कर दी। इस बार राज्यसभा से मालवा क्षेत्र का कोई व्यक्ति कांग्रेस पहुंचाती तो उसकी स्थिति मजबूत बनती दिग्विजय सिंह वैसे भी पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते चर्चित है।

