ईरान-इजरायल में बढ़ी जंग तो... भारत को भी होगा 1.21 लाख करोड़ का नुकसान!
नई दिल्ली. ईरान-इजरायल के बीच जंग का आठवां दिन है. दोनों देशों के बीच जंग अब घातक मोड़ पर पहुंच चुका है. इजरायल ने ईरान के हमले के बाद कल रातभर मिसाइलें दागीं. बढ़ते जंग को देखते हुए होर्मुज जलडमरूमध्य में तनाव और ज्यादा बढ़ गया है. इस बीच, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA ने चेतावनी दी है कि इस रुकावट से तेल और गैसी की आपूर्ति में किसी भी तरह की निरंतर बाधा भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकती है.
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि इस तनाव के बढ़ने से तेल आयात में वृद्धि होगी, चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ेगा और निजी क्षेत्र के निवेश में देरी होगी. होर्मुज जलडमरूमध्य एक रणनीतिक व्यापार मार्ग है, जिसके माध्यम से ग्लोबल ऑयल और LNG का करीब 20 फीसदी प्रवाह होता है. ICRA के मुताबिक, भारत के कच्चे तेल के आयात का करीब 45 से 50 फीसदी और इसके प्राकृतिक गैस आयात का 60 फीसदी इस गलियारे से होकर गुजरता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईराक, सऊदी अरब, कुवैत और UAE से कच्चे तेल का आयात इसी रास्ते से होकर गुजरता है और भारत लगभग 45-50% कच्चा तेल इन्हीं देशों से आयात करता है. 13 जून को इजरायल के ईरानी सैन्य और एनर्जी स्थलों पर हमले के बाद संघर्ष शुरू हुआ. इसके बाद से ही तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं और 64 से 65 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 74 से 75 डॉलर प्रति बैरल हो गईं, जो आपूर्ति में व्यवधान की आशंका को दर्शाता है.
आईसीआरए का अनुमान है कि औसत कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारत के शुद्ध तेल आयात बिल में एक वित्तीय वर्ष में 13-14 बिलियन डॉलर (करीब 1.21 लाख करोड़ रुपये) की वृद्धि हो सकती है और सीएडी GDP के 0.3% तक बढ़ सकता है. एजेंसी ने कहा, 'संघर्ष में निरंतर वृद्धि से कच्चे तेल की कीमतों के हमारे अनुमानों और परिणामस्वरूप शुद्ध तेल आयात और चालू खाता घाटे के लिए जोखिम बढ़ सकता है.'
साभार आज तक