पितृ पक्ष का महत्व और विदुर पक्ष में संपत्ति खरीदने का विशिष्ट लाभ: जानें पितृ पक्ष की सम्पूर्ण जानकारी

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रंजीत टाइम्स द्वारा प्रस्तुत यह विशेष रिपोर्ट आपको पितृ पक्ष की महत्ता और इस दौरान संपत्ति खरीदने के नियमों के बारे में बताएगी। पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्मकांड किए जाते हैं।

पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व:
पितृ पक्ष का समय हमारे पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। माना जाता है कि इस दौरान हमारे पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से श्राद्ध और तर्पण की अपेक्षा करते हैं। श्रद्धा और भक्ति भाव से किए गए इन कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और वे अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।

विदुर पक्ष में संपत्ति खरीदने का महत्व:
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में नए कार्य आरंभ करना जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या संपत्ति खरीदना वर्जित माना जाता है। लेकिन विदुर पक्ष में संपत्ति खरीदना विशेष फलदायी होता है। विदुर पक्ष में संपत्ति खरीदने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह संपत्ति परिवार के लिए सुख-समृद्धि का कारण बनती है।

पितृ पक्ष के दौरान की जाने वाली परंपराएं:
1. श्राद्ध कर्म: इस दौरान पितरों के लिए विशेष भोजन, वस्त्र और दान का आयोजन किया जाता है।
2. तर्पण: पवित्र जल का उपयोग कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है।
3. पिंडदान: गया या अन्य पवित्र स्थानों पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ध्यान रखने योग्य बातें:
इस समय में शाकाहारी भोजन ग्रहण करें और पवित्रता बनाए रखें।
मांस-मदिरा का सेवन पूरी तरह से त्याग दें।
साधारण और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।

संपादक: गोपाल गावंडे, रंजीत टाइम्स
पितृ पक्ष और विदुर पक्ष से जुड़ी इस जानकारी के माध्यम से आप अपने पूर्वजों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। अधिक जानकारी और खबरों के लिए पढ़ते रहें रंजीत टाइम्स।

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