सहजयोग में आत्मीय स्वार्थ को पाना ही जीवन का असली लक्ष्य
आजकल स्वार्थ का मतलब अपने हित के बारे में सोचना हो गया है। और अपनी हित सारे ही भौतिक हो गए हैं। स्वार्थ का मतलब अपनी भौतिक खुशी के लिए सब करना हो गया है। लेकिन अब इस स्वार्थ को बढ़ाने का वक्त आ गया है । यदि आप स्वार्थ का संधि विच्छेद करते हैं तो बनता है 'स्व' + 'अर्थ' = स्वार्थ, स्व को जानना सबसे बड़ा स्वार्थ है। स्व और कुछ नहीं बल्कि हमारी आत्मा है। अपनी आत्मा को पूरी तरह समझना, उसकी उन्नति के लिए सभी प्रयत्न करके उसे जागृत करना ही सबसे बड़ा स्वार्थ है। यदि आप स्व को नहीं जानते हैं, तो सारा स्वार्थ व्यर्थ है। तो आपको इस गलत पहचान को अपने दिमाग से पूरी तरह से निकाल देना चाहिए और अधिक से अधिक स्व बनने का प्रयास करना चाहिए।
अब हमें यह प्रश्न आता है कि हम यह किस प्रकार करें। इसके लिए हमें अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना होगा। यह कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के बाद ही संभव है और फिर ध्यान द्वार अपने अंदर की ओर नजर करनी होगी। अब ध्यान करने से पहले, अपने दिल में, या, आपको अपने हृदय में झांकना चाहिए, और उसके अंतरतम भाग में वहां अपने गुरु को रखने का प्रयास करें। हृदय में स्थापित होने के बाद आपको पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ उसे प्रणाम करना चाहिए। अब आप अपने मन से जो कुछ भी करते हैं, बोध के बाद, वह कल्पना नहीं है क्योंकि अब आपका मन, आपकी कल्पना, स्वयं प्रबुद्ध है। तो अपने आप को इस तरह पेश करें कि आप अपने गुरु के चरणों में नतमस्तक हों और अब ध्यान के लिए आवश्यक स्वभाव, या ध्यान के लिए आवश्यक वातावरण के लिए प्रार्थना करें। ध्यान तब होता है जब आप परमात्मा के साथ एक हो जाते हैं। स्थापित होने के बाद आपको पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ उसे प्रणाम करना चाहिए। अब आप अपने मन से जो कुछ भी करते हैं, बोध के बाद, वह कल्पना नहीं है क्योंकि अब आपका मन, आपकी कल्पना, स्वयं प्रबुद्ध है। तो अपने आप को इस तरह पेश करें कि आप अपने गुरु के चरणों में नतमस्तक हों और अब ध्यान के लिए आवश्यक स्वभाव, या ध्यान के लिए आवश्यक वातावरण के लिए प्रार्थना करें। ध्यान तब होता है जब आप परमात्मा के साथ एक हो जाते हैं और फिर आपको अंदर देखना चाहिए और खुद देखना चाहिए कि सबसे बड़ी बाधा क्या है। इसके लिए आत्मसमर्पण बहुत जरूरी है ।
मेरे प्रति समर्पण यह आपको समझना चाहिए, आप अपने सहस्रार चक्र को पूर्ण रूप से खोलकर अपने आत्मीय
स्वार्थ को पा सकते है। यही हमारे जीवन का लक्ष्य है, यही हमारा सच्चा स्वार्थ है। अपने सच्चे और आत्मिक स्वार्थ को पाने के लिए के लिए जानकारी टोल फ्री नंबर 18002708800अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं।

