भगवद्गीता में अर्जुन प्रश्न करते हैं कि हे कृष्ण 'स्थितप्रज्ञ' किसे कहते हैं ? भगवान श्रीकृष्ण उत्तर देते हैं, हे पार्थ,
प्रजहाति यदा कामान् सर्वान् पार्थ मनोगतान्।
आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते।।
अर्थात् जो मानव अपनी संपूर्ण कामनाओं का त्याग कर, अपनी आत्मा को प्राप्त होता है। और वह उसकी हृदयस्थ आत्मा ही उसे परम संतुष्टी देती है, परमानंद,और निरानंद प्रदान करती है। और निरानंद में स्थित रहकर, जीवन की गतिविधियों को एक नाटक के समान साक्षीभाव से देखनेवाले साधक को 'स्थितप्रज्ञ' कहते हैं।
सहजयोग के अभ्यास से स्थितप्रज्ञ भाव की जागृति अत्यंत सरल है। सहजयोग प. पू. श्री माताजी द्वारा इस विश्व को दिया हुआ एक अनुपम उपहार है। आज जब हम संसार की विविध गतिविधियों और मानवों की विविध प्रवृत्तियों नजर डालते हैं, तो देखते हैं कि इस संसार मे कोई भी आदमी सुखी, समाधानी या संतुष्ट नहीं है। सुख या आनंद ढूंढने के लिये हम भौतिक चीजें पाने की होड़ लगा देते हैं, परंतु सूक्ष्म अवलोकन करके देखें, क्या भौतिक चीज़ें मानव को उस संतुष्टि का अनुभव दे पाती हैं ? इसी प्रकार हम आराम या फुर्सत की बात करते हैं। आजकल लोग हर हफ्ते वीकेंड मनाने जंगलों में , समुद्र तट पर या अन्य स्थानों पर जाते हैं, या और कोई मनोरंजन का बहाना ढूंढते हैं, परंतु इतना सब करने के बाद भी मन को परमसुख की अनुभूति देने वाली वो तथाकथित शांति नहीं प्राप्त कर पाते। प.पूज्य श्री माताजी निर्मलादेवी जी कहती हैं कि, आत्मा का आनंद पाये बगैर आप जीवन में खुशहाल नहीं हो सकते। भौतिकता आपको क्षणिक सुख दे सकती है पंरतु शाश्वत आनंद का स्त्रोत तो आपके हृदय में छिपा है और जब सहजयोग में आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है, तो आपकी माँ स्वरूपिणी कुंडलिनी शक्ति तीसरे चक्र जिसे नाभि या मणिपुर चक्र कहा जाता है उसे लांघती है और आपको अंदर से तुष्टि का अनुभव दिलाती है। वो शक्ति आपको आपका लक्ष्मीतत्व प्रदान करती है यानि कि आपकी तबीयत एक राजा जैसी बन जाती है। आपके जीवन के हर पल का आप आनंद उठाने लगते हैं। आपकी सारी अशुद्ध इच्छाएं, शुद्ध इच्छा में परिवर्तित हो जाती हैं । आपके जीवन मे आई यह संतुष्टि आपके व्यक्तित्व में झलकने लगती है। आप भी यदि संतुष्टि के इस भाव की अनुभूति पाना चाहते हैं तथा साक्षी स्वरूप, स्थितप्रज्ञता, में स्थित होना चाहते हैं तो सहजयोग ध्यान का अनुभव अवश्य प्राप्त करें।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 लर्निंग सहजयोगा यूट्यूब चैनल।