चीन के बढ़ते खतरे के बीच भारत जरूरी: अमेरिकी सांसद बोले- एक स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक के लिए भारत से डील अहम

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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की विदेश नीति को आइना दिखाते हुए अमेरिकी प्रतिनिध सभा के सदस्‍य बिल हुइजेंगा ने भारत का सपोर्ट किया है. उन्‍होंने कहा कि अगर अमेरिका को हिंद प्रशांत क्षेत्र और सही तरीके से आपूर्ति चेन चाहिए तो उसे भारत की पहले से ज्‍यादा जरूरत है. 
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में अमेरिका-भारत संबंधों पर सुनवाई के दौरान हुइजेंगा ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध अब केवल महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं, बल्कि 21वीं सदी के निर्णायक संबंध बन चुके हैं. अमेरिकी लीडर ने कहा कि अगर अमेरिका एक स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र चाहता है, एक ऐसी दुनिया में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं चाहता है तो भारत के साथ हमारी डील महत्‍वपूर्ण है. 
उन्‍होंने कहा कि भले ही भारत की स्‍वतंत्रता के बाद साझेदारी में सूक्ष्म बदलाव आए हैं और भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति ने इसकी रणनीतिक पहचान को आकार दिया है, फिर भी अमेरिका और भारत लोकतांत्रिक मूल्‍यों और स्‍वतंत्रता की गहरी इच्‍छा पर आधारित एक स्‍वतंत्र, खुल और सुरक्षित हिंद प्रशांत एरिया की साझा नजरिया रखते हैं. 
अमेरिकी नेता ने कहा कि हर अमेरिकी प्रशासन, चाहे वह रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट, ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत किया है या कम से कम ऐसा करने का प्रयास किया है. यह स्पष्ट करते हुए कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत को एक अस्थायी या लेन-देन वाला साझेदार नहीं मानता है. 
अमेरिकी सांसद ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका के संबंधों को तगड़ा झटका लगा है. ट्रंप की सरकार में भारतीय वस्‍तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. इस टैरिफ में 25 फीसदी भारत द्वारा रूस से आयात किए जाने वाल तेल पर लागू होता है. अमेरिका यूक्रेन युद्ध को समाप्‍त करने के लिए भारत पर रूस से तेल का आयात कम करने का दबाव डाल हा है. हालांकि एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि भातर और पाकिस्‍तान के बीच युद्धविराम के बाद भारत की ओर से ट्रंप को कोई क्रेडिट नहीं दिए जाने के कारण ट्रंप नाराज थे. 
सांसद ने यह भी कहा कि रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा और इस सितंबर में चीन के शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्‍मेलन में भारत की भागीदारी ने 'कुछ स्‍वाभाविक चिंताएं पैदा' की हैं. साथ ही उन्‍होंने कहा कि भारत ने अधिक अमेरिकी एनर्जी खरीदने पर सहमति जताई है, जिससे रूस पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी. 
अमेरिकी सांसद ने कहा‍ कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि चीन और रूस बलपूर्वक सीमाओं का विस्‍तार कर रहे हैं, लोकतांत्रिक मानदंडों को कमजोर कर रहे हैं और अपने पड़ोसियों पर दबाव डाल रहे हैं. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यह सबसे अधिक स्पष्ट है, जहां तेजी से आक्रामक होता चीन क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक समृद्धि और व्यापार के फ्लो के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. 
साभार आज तक

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