सहज योग मेडिटेशन से विश्व कल्याण का माध्यम बनना संभव

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आज के दौर में ध्यान योग यानि मेडिटेशन की सर्वाधिक आवश्यकता है।  विश्व के तनाव हम सब देख ही रहे हैं।  एक देश दूसरे देश‌ पर लगातार हावी होने का प्रयास कर रहे हैं।   कोई झुकना ही नहीं चाहता क्योंकि आत्मसम्मान से कहीं अधिक, झुकने के लिए जिस शांतिभाव की आवश्यकता है, उस भाव की कमी है। हम जन मानस विश्व के किसी भी कोने में चल रहे अशांति से स्वयं को बचा नहीं पाते हैं।  अत: जरुरी है कि हमारी आत्मा जागृत हो और हम स्वयं को सुरक्षित रखने का दायित्व स्वयं उठाये। 
आत्म-जागरूकता से मानव अपने अनुभव की सीमाओं से मन के परिवर्तनकारी मार्ग की खोज करने में सक्षम होता है। यह जीवन को समझने की चुनौती को सहजता से समझ पाता है।   मेडिटेशन मन-शरीर-बुद्धि प्रणाली के साथ साथ भीतर की संभावनाओं को समझने के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।  सुनने में यह बात भले ही आसान ना लगे पर इसके लिए प्रयास ही नहीं करना उचित नहीं होगा। हम सभी एक बार प्रयास करके कुछ दिन नियमित ध्यान धारणा से हम इस सुक्ष्म ज्ञान को आत्मसात कर सकते हैं।            सहज योग साधक को वो साक्षी भाव प्रदान करता है जिसकी वर्तमान समय में सर्वाधिक आवश्यकता है। समझने का प्रयास करते हैं कि यह साक्षी भाव आखिर है क्या?   अपने को स्वयं पर केन्द्रित कर उन घटनाओं को जो हमें विचलित करती है, स्वयं पर हावी ना होने देना साक्षी भाव है।   प्रार्थना के महत्व को हम सभी जानते हैं।  सहज ध्यान योग में भी प्रार्थना का बहुत बड़ा स्थान है। ‌  सहज योग तकनीक से हमारे अंदर स्थित कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, हाथों से और सिर के तालु भाग से चैतन्य प्रवाहित होने लगता है। यह महज एक कर्मकांड नहीं बल्कि एक जागृत अवस्था है, इसकी अनुभूति साधक को परमेश्वरी शक्ति से एकाकारिता का बोध कराती है। ‌‌  साधना की इस अवस्था में जब हम परमेश्वरी शक्ति से एकाकार रहते हैं, हमारी प्रार्थना का फलीभूत होना एक अटूट सत्य सा प्रभावी होता है। हम अपनी सुरक्षा के साथ साथ विश्व की सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं।                             आज विश्व को ऐसे प्रार्थना की अत्यंत आवश्यकता है।  विश्व में सहज योगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो इसकी भी आवश्यकता है।  सहज योगी लगातार बढ़ रहे हैं पर, संसार बहुत बड़ा है तो उस हिसाब से भी सहज योग फैलना चाहिए।  संसार के संरक्षण की जिम्मेदारी सभी की है, हर मानवमात्र की है। हमें स्वयं को पहचानना है ताकि हम ईश्वर प्रदत्त इस जीवन की गरिमा को समझ सकें।  स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि बनाकर इस विश्व के प्रति जिम्मेदारी को निभा सकें। 
सहज साधक गुरु पद प्राप्त करता है और दूसरों को भी संतुलन दे पाता है, वो जलवायु, प्रकृति, वातावरण,समाज तथा मनुष्य को संतुलित करता है।  किसी भी प्रकार का प्रलोभन सहज योगी को विचलित नहीं कर सकता है और यह गुण उसमें स्वयं प्रस्थापित होता है।   तपस्विता  हम सब के अंदर है, यह अंतर्जात है।  बस इसे उजागर होना है। 
अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने व स्वयं का गुरु बनने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं।

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