जिला पत्रकार संघ के बैनर तले पुलिस और प्रशासन के खिलाफ पत्रकारों ने दिया धरना
मुख्यमंत्री से की पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग
सौ से अधिक पत्रकारों ने की सहभागिता
झाबुआ : उत्सव सोनी
प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे हमले और झाबुआ में पत्रकारों को साथ हुए प्रशासनिक दुर्व्यवहार के कारण सोमवार को जिलेभर के पत्रकारों ने जिला पत्रकार संघ झाबुआ के बैनर तले आक्रोश व्यक्त करते हुए धरना प्रदर्शन किया। अम्बेडकर गार्डन में जिले भर से जुटे सैकड़ों पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानुन लागु करने, प्रशासनिक दुर्व्यवहार सहित अन्य मांगों को लेकर आक्रोश व्यक्त किया। दरअसल विगत दिनों मुख्यमंत्री के झाबुआ आगमन के दौरान कलेक्टर और एसपी द्वारा झाबुआ के कुछ पत्रकारों पर तल्ख टिप्पणी की गई थी जिससे पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया। प्रशासनिक अधिकारियों के धमकी भरे अंदाज में की गई टिप्पणीयों कलमकारों का नागवार गुजरी जिसके चलते सोमवार को बड़ा धरना प्रदर्शन किया गया। धरना प्रदर्शन में जिला पत्रकार संघ के आव्हान पर झाबुआ सहित जिले भर के विभिन्न ग्रामों से लगभग 100 से अधिक पत्रकारों ने सहभागिता कर अपना समर्थन दिया ।
एसडीएम ने लिया ज्ञापन
करीब तीन घंटे चले धरना प्रदर्शन के बाद प्रशानिक अधिकारी के रूप झाबुआ एसडीएम भास्कर घाचले, तहसीलदार सुनील डावर धरना स्थल पर पहुॅचे। महेश राठौर ने ज्ञापन का वाचन किया। जिला पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष राजेष सोनी ,महासचिव अक्षय भटट, संरक्षक मनोज चतुर्वेदी, संजय भटेवरा, हरिषंकरपंवार, संघ के जिलाउपाध्यक्ष सत्यनारायणसिंह ठाकुर ,मुज्जमिल मंसूरी , सहित कई पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और 15 दिनों में ज्ञापन पर कार्यवाही की मांग की गई।
शांतिपूर्ण किए गए धरना प्रदर्शन में सर्वप्रथम जिला पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष राजेश सोनी ने सम्बोधित करते हुए इस प्रदर्शन किए जाने के कारणों पर प्रकाश डाला । साथ ही कहा कि प्रषासन और पत्रकार एक दूसरे की कडी है।पत्रकारों को अपने कर्तव्य निर्वहन में जो परेशानी आ रही है यह धरना प्रदर्शन उसकी लडाई है।प्रशासन से व्यक्तिगत द्वेपता नहीं किन्तु पत्रकारों के साथ झाबुआ जिले भर में कई ऐसे मामले सामने आए है जहां पत्रकारों के साथ असहयोगात्मक रवैया प्रशासन का देखने को मिल रहा है ।जिले के अलावा ग्रामीण स्तर पर भी पत्रकारों को प्रशासनिक सहयोग नहीं मिल पाता है । प्रशासन अच्छी खबर की वाहवाही लुटता है लेकिन जब जनहित की खबर चलती है तो प्रशासन कार्यवाही की बात करता है।जिले में पत्रकारों के हितों की रक्षा और सम्मान के लिए संगठन सदैव तत्पर रहा है ।
संघ के सरंक्षक संजय भटेवरा ने कहा की वर्तमान में पत्रकार सुरक्षा कानून की काफी जरूरत है। पंचायत स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पत्रकारो पर हमले हो रहे और प्रशासन भी पत्रकारों पर निशना साध रहा है। उन्हांने कहा की कलेक्टर झाबुआ द्वारा यह कहा जाना कि सब दुर केमरे लगा रखे हैं और कौन क्या कर रहा है हमें सब पता, काफी निराशजनक है। पुलिस अधीक्षक कहते है कि सब के इशु है, आखिर इसका मतलब क्या है। ये अधिकारी पत्रकारों को अघोषित रूप से धमकाने की कोशिश कर है जो असहनीय है,जिसका हर स्तर पर विरोध किया जायेगा।
संघ के संरक्षक हरिशकर पंवार ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रशासन ओर पत्रकार दोनों को एक दुसरे के साथ की जरूरत है, उनसे हम लडाई नहीं कर सकते लेकिन समाचार के माध्यम से भी यदि बात नहीं बनी तो हमे मजबूर होकर कलम डाउन करना पडेगी। उन्होने कहा की पत्रकारो को भी गंभीरता से पत्रकारिता को करना चाहिए।
संघ के महासचिव अक्षय भट्ट ने कहा कि प्रशासन द्वारा पत्रकारों के साथ जिस तरह का असहयोग कर रहा है वह आक्रोष का कारण है जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा ।
मनोज अरोडा ने कहां कि आज प्रशासनिक बेरूखी के कारण गांव- गांव से पत्रकार साथीयों को धरना प्रदर्शन में शामिल होने झाबुआ आना पड़ा यह बड़े खेद का विषय है।
आलोक द्विवेदी ने कहा कि आज के ऐसे दौर में पत्रकारिता करना एक चुनौती हो गया है, प्रशासनिक अफसरों को पत्रकारों के प्रति सकारात्क रवैया रखना चाहिए किंतु झाबुआ जिले में इसके विपरीत कार्यशेली अधिकारी अपना रहे हैं।
राजेन्द्र सिंह सोनगरा ने कहा की पत्रकारों के सम्मान के लिए विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन जैसा कदम उठाना पड़ा प्रशासन और पत्रकार एक सिक्के के दो पहुल है। दोनो जनता की मदद के लिए काम करते हैं, किंतु कई बार प्रशासन में बैठे अधिकारी आलोचनात्क खबरों को व्यक्तिगत लेकर पत्रकारों के प्रति द्वेष भाव रखते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। पत्रकार सरकार की योजनओ को धरातल पर पहुॅचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है बावजूद यदि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी यदि ऐेसा व्यवहार करेंगे तो पत्रकार हतोत्साहित होगा।
पेटलावद के विरेन्द्र भट्ट ने कहा की जल जीवन मिशन को खबर में कलेक्टर का सार्वजनिक वर्जन छापने पर पत्रकारों और संपादकों के माध्यम नोटिस तो दिला दिये किंतु मेढ़म ने ठेकेदार और संबंधित एजेंसी पर कोई कार्यवाही नहीं की, इस तरह बर्ताव से प्रशासनिक अफसर क्या दिखाना चाहते हैं। अब ऐसा दौर आ गया है कि जनता की हित के समाचर लिखना मतलब मुसीबत मौल लेना हो गया है।
विरेन्द्र राठौर ने कहा की झाबुआ जिले की पत्रकारीता कभी ना तो डरी है ना ही डरेगी हमारी आवाज को जो जितना दबाने की कोशिश करेगा वो उतनी ही मुखरता से चलेगी। कलेक्टर मेडम कहती है कि केमरे से निगरानी हो रही है तो क्या सिर्फ पत्रकारो की ही हो रही है एसपी साहब कह रहे हैं पत्रकारो के इशु है, तो क्या सिर्फ पत्रकारो के ही इशु है।
कांग्रेस का मिला साथ
पत्रकारोें के आक्रोश और धरना प्रदर्शन को कांग्रेस पार्टी का भी साथ मिला। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया, झाबुआ विधायक और आदिवासी कांग्रेस के राष्टीय अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश रांका,शहर कांग्रेस अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह राठौर, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि जसवंत भाबर ने पत्रकारों के धरना प्रदर्शन में शामिल हो कर प्रशासन द्वारा पत्रकारों के साथ किए जो रहे दुर्व्यवहार की आलोचना की और प्रदेश सरकार से ऐसे जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।