गृहस्थ धर्म का विवेकपूर्ण पालन ही परमात्मा से योग का सहज साधन है

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योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना या मिलना। कालांतर में अनेक प्रसिद्ध व अप्रसिद्ध योगों का प्रादुर्भाव हुआ, परंतु मनुष्य योग  क्यों और किससे करना चाहता है?  यह एक यक्ष प्रश्न है। वास्तव में भौतिक संसार अपूर्ण है, विज्ञान की दृष्टि से देखें तो प्रत्येक अणु परमाणु स्थायित्व को प्राप्त करने के लिए अपने इलेक्ट्रोंस का आदान-प्रदान कर किसी दूसरे तत्व से योग द्वारा पूर्ण होना चाहता है। मानव भी पांच तत्वों से निर्मित है अपूर्ण है, पूर्ण होना चाहता है। 
     किसी भी स्थान पर पहुंचने के अनेक मार्ग हो सकते हैं। इसी प्रकार आत्मविस्तार, आत्मज्ञान या आत्मसाक्षात्कार के भी विभिन्न मार्ग हो सकते हैं। सभी का उद्देश्य एक ही होता है - आत्म तत्व को जानना, आत्मा का परमात्मा से योग, असत्य से सत्य की ओर या अंधकार से प्रकाश की ओर गमन। अधिकांश मार्ग संसार से वैराग्य की ओर ले जाते हैं, संसार को भोगते हुए बैरागी होना नहीं सिखाते। यह कला केवल भारतीय गृहस्थ आश्रम में संभव है। भारतीय संस्कृति पर आधारित गृहस्थ धर्म का विवेकपूर्ण पालन ही सहज योग है। श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा  प्रदत्त सहज योग आत्मोन्नति का एक सर्वसुलभ अल्प श्रमसाध्य योग है। सहजयोग में साधना का आरंभ उस स्थान से होता है जहां तक पहुंचने के लिए साधकों को कई वर्षों के कठिन तप या कभी-कभी कई जन्मों के कठिन तप से गुजरना पड़ता है। यह दूरी श्री माताजी के समक्ष क्षण भर में पूरी हो जाती है, आप तत्क्षण परम चैतन्य से एकीकृत हो जाते हैं। और इसके लिए संसार की किसी भी शास्त्रोक्त भोग्य वस्तु अथवा संबंध आदि का त्याग नहीं करना होता, ना ही कोई धन देना होता है। श्री चरणों में पूर्ण समर्पण ही एकमात्र योग्यता है। परंतु जैसा कि हमने पूर्व में कहा है कि आत्मा का साधन भौतिक शरीर है तथा भौतिक तत्व अपूर्ण व त्रुटि पूर्ण है। अतः हमें अपनी कनेक्टिविटी को बनाए रखने के लिए सुबह-शाम कुछ मिनट  निर्विचार ध्यान में स्थित होना होता है, जो सहज ही संभव हो जाता है। सहजयोगी होना तभी संभव है जब आप गृहस्थ धर्म का पालन करते हैं। क्योंकि सहज योग में त्याग मात्र अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, इर्ष्या एवं दूर्व्यसनों का करना होता है अन्य किसी का नहीं। सहजयोगी वही  हो सकते हैं जो प्रेममय, आनंदमय व संतुष्ट गृहस्थ योगी होते हैं।
सहजयोग से संबंधित  जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट‌ - sahajayoga.org.in

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