कलियुग सत्य की साधना का युग है : श्री माताजी
सहजयोग ध्यान की प्रतिस्थापना श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा 1970 में की गई। सहजयोग कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति व नियमित ध्यान द्वारा उत्तरोत्तर आत्मिक उन्नति का योग है। सहजयोग द्वारा आत्मिक, शारीरिक, मानसिक आर्थिक व सामाजिक उन्नति के अनेकानेक उदाहरण विश्व भर में बिखरे हुए हैं। कलियुग व सहजयोग के संबंध को व्यक्त करते हुए श्री माताजी अपनी अमृतवाणी में कहते हैं कि,
"यह घोर कलियुग का समय है। कलियुग के लिए कहा गया है कि यह भ्रम का युग है और यदि इस भ्रम में आप फँस गए तो आप समाप्त हो जाएँगे, परन्तु भ्रम को यदि आप पहचान लेंगे तो सत्य को खोजने लगेंगे, यही कारण है कि आज जिज्ञासा बहुत बढ़ गई है क्योंकि लोग भ्रम को महसूस कर सकते हैं, वे जानते हैं कि यह सत्य नहीं है...... और तब वे जानना चाहते हैं कि सत्य क्या है? और कहाँ है? और इसे खोजने का वे प्रयत्न करते हैं, इस प्रकार कलियुग में सत्य साधना प्रारम्भ हुई।
'दमयंती पुराण' में कलियुग की कहानी बताई गई है। कलि द्वारा फैलाए गए भ्रम के कारण राजा नल की पत्नी दमयन्ती अपने पति से बिछुड़ गई, एक दिन ये भयानक कलि महाराज नल के हाथ आ गया, नल ने उससे कहा- "अब तुम्हारा गला दबाकर मैं तुमको समाप्त कर दूँगा।" कलि ने कहा "आप ऐसा कर सकते हैं पर पहले महत्त्व सुन लें कि मेरा महत्त्व क्या है और मैं यहाँ पर क्यों हूँ?"
कलि ने बताया कि "जब मैं आऊँगा और विश्व में शासन करूँगा अर्थात जब कलियुग होगा तब लोग भ्रांति में फँस जाएँगे, वे नहीं जान पाएँगे कि ये सत्य है या असत्य और तब वे सत्य को खोजने का प्रयत्न करेंगे। केवल वही लोग नहीं जो सब कुछ त्यागकर जंगलों में चले जाएँगे, परन्तु अन्य प्रकार के लोग भी। वो लोग जो अब तपस्यारत हैं, कलियुग में जन्म लेंगे और सर्व साधारण गृहस्थों की तरह इस भ्रम में फँस जाएँगे। भ्रम में फँसने के पश्चात वे साधना शुरू करेंगे क्योंकि वे महसूस कर लेंगे कि यह असत्य है और तत्पश्चात सत्य को खोजने लगेंगे। केवल तब उन्हें आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होगा।"
हजारों वर्ष पूर्व कलि ने यह सब अत्यन्त स्पष्ट शब्दों में बताया। तो कलियुग ही वह समय है जब लोग आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकेंगे, वे अपनी आत्मा को जान जाएँगे, सत्य को जान जाएँगे। बहुत समय पूर्व ये बात कही गयी थी और अब आप इसे स्वयं देख सकते हैं।" (7/11/99 डेल्फी यूनान (ग्रीस))
सहजयोग पहले बहुत छोटे स्तर पर शुरू हुआ परंतु इसकी वास्तविकता, वैज्ञानिक सत्यता तथा चैतन्यता के साक्षात् अनुभव के कारण आज यह विश्वव्यापी हो गया है। आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु तथा सहजयोग ध्यान की जीवंतता को स्वयं अनुभव करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या सहजयोग ध्यान पूर्णतः निशुल्क है।

