कुंडलिनी कोई रहस्य नहीं वरन् ईश्वर प्रदत्त कुंडलित ऊर्जा शक्ति है

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हम सभी जानते हैं कि बिना ऊर्जा के जीवन संभव नहीं।  यह सारा ब्रम्हांड ऊर्जा से ही संचालित है।  पर वो ईश्वरीय ऊर्जा हमें दिखाई नहीं देती।  हम मात्र मानव द्वारा परिचालित ऊर्जाओं जैसे  विद्युत, बल्ब की रौशनी, कारखानों में उपयोग आने वाली मशीन इत्यादि को ही जान पाते हैं।  कुंडलिनी भी एक ऊर्जा है  क्योंकि  कुंडलिनी का अर्थ ही है ' कुंडलित ऊर्जा'  और यह एक शक्ति है जो साढ़े तीन कुंडल में हमारे रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोणाकार अस्थि में विराजमान होती है।   यह जीवंत ऊर्जा है और स्वयं को कैसे संभालना है, यह जानती है।  यह ऊर्जा सोच सकती है। ‌इसका उदाहरण है कि यह हमारे उत्थान के लिए यह गुरुत्वाकर्षण के विरोध में कार्य करती है  क्योंकि उसे मध्य सुषुम्ना नाड़ी से ऊपर उठना होता है और सिर के उपरी हिस्से तक तालु भाग तक जाकर वहाँ भेदन करना होता है।  जब कुंडलिनी जागृत होती है तब सहस्त्रार चक्र तक जाने के मार्ग में जो भी चक्र आते हैं, उन्हें स्पर्श करती जाती है उसे पता है कि उस चक्र में‌ क्या खराबी है अत: उसे वह ठीक करती जाती है।  कुंडलिनी शक्ति जो‌ मां स्वरूप है,  हमारे साथ है हमें पोषित करने व हम सबकी‌ देखभाल करने के लिये।  
 ‌‌जब हमारे अंदर आत्म उत्थान की शुद्ध इच्छा जागृत होती है तब सुषुप्त कुंडलिनी एक जीवित प्रक्रिया की तरह जागृत होती है। वैसे ही जैसे हम धरती पर बीज बोते मात्र हैं पर उसका अंकुरित होना एक जीवंत क्रिया है। जब कुंडलिनी जागृत होती है, छ: चक्रों से गुजरती हुई जब अंतिम चक्र का स्पर्श करती है तब हम स्वयं अपने सिर के ऊपर से ठंडी हवा के निकलने का अनुभव पाते हैं। आत्म साक्षात्कार के बाद ही पहली बार हम इस ठंडी हवा को अनुभव करते हैं।  यह एक सुखद शांत ठंडक है।  यह ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति है।  इसके साथ ही हम एक ईश्वरीय कंप्यूटर सम बन जाते हैं।   हम अपने अंदर किस चक्र में तकलीफ है, उसे स्वयं जान‌ सकते हैं।  हम अपने आस पास के व्यक्तियों के चक्रों की स्थिति भी जान सकते हैं,  जो हमसे बहुत दूर हैं उनकी‌ भी स्थिति भी हम जान लेते हैं। 
हम सभी ईश्वरीय शक्ति से घिरे हुये‌ हैं‌ और‌ कुंडलिनी के जागृत होने पर इस ईश्वरीय शक्ति से जुड़ जाते हैं। हमारे अंदर स्थित कुंडलिनी हमारी मां है, जो हमें परमात्मा के स्वर्ग साम्राज्य में ले जाती है।   कुंडलिनी आत्मा से एकाकार होने की परम इच्छा है। कुंडलिनी हमारी मां है और इस मां को जानने का अधिकार हर मानव मात्र को है। तो चलिए सहज योग ध्यान से जुड़ते हैं। आप आत्मसाक्षात्कार  को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

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