'आत्म दीपो भव' बुद्ध के इस सिद्धांत को बनाए मां लक्ष्मी की आराधना का आधार

  • Share on :

'आत्म दीपो भव' अर्थात् स्वयं अपने दीप बनो। यह संदेश महात्मा बुद्ध द्वारा न सिर्फ अपने अनुयायियों बल्कि संपूर्ण मानव जाति को दिया गया। प्रश्न यह उठता है कि स्वयं का दीप कैसे बना जा सकता है ? उत्तर अत्यंत सहज है अपनी आत्मा के साक्षात्कार द्वारा। पुनः प्रश्न उठता है कि आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति का मार्ग क्या है ? इसका उत्तर है स्व की पहचान इसके लिए भारतीय संस्कृति में अनेक ऋषियों - मनीषियों ने हमारा मार्गदर्शन किया है ध्यान योग के द्वारा उन्होंने स्व अर्थात् आत्मतत्व को पहचाना, हमारे सूक्ष्म शरीर में स्थित शक्ति व ऊर्जा के केंद्रों की पहचान की, उनकी जागृति के साधनों का पता लगाया और मानव जाति को परमात्मा से एकाकारिता की राह दिखाई। रामायणकालीन, महाभारतकालीन, वैदिक काल के ऋषियों से लेकर श्री गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, आदिशंकराचार्य, संत ज्ञानेश्वर, गुरुनानक देव, कबीरदास व अनेकानेक संतों ने इसी मार्ग पर चलने का संदेश मानव जाति को दिया। उपरोक्त सभी व अन्यान्य मनीषियों ने कुंडलिनी जागरण द्वारा सात शक्ति केन्द्र सूक्ष्म चक्र, सूक्ष्म नाड़ियों आदि की जागृति की बात की परंतु यह ज्ञान     इसकी क्लिष्ट भाषा के  कारण   साधारण मनुष्य की समझ के परे रहा। 
    साधकों की इसी कठिनाई को आदिशक्ति श्री माताजी ने सहजयोग ध्यान पद्धति द्वारा अत्यंत ही सहज बना दिया है। साधारण मनुष्य भी बड़ी ही सहजता से सूक्ष्म शरीर में कुंडलिनी, चक्रों व नाड़ियों के ज्ञान को प्राप्त कर पाता है प्रतिदिन के सरल व संक्षिप्त अभ्यास के द्वारा इनकी जागृति कर इनकी शक्तियों से साक्षात् कर आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त करता है। 
     इस  प्रकाश पर्व दीपावली पर आप सभी अपने आत्म दीप को प्रज्ज्वलित कर मां लक्ष्मी को स्वयं अपने अंतस में जागृत करने हेतु सहजयोग का अनुभव प्राप्त करें। इस संबंध में अधिक जानकारी टोल फ्री नं – 1800 2700 800  अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं। सहजयोग पूर्णतया निःशुल्क है।

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper